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________________ आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना' पद/उद्देश /सूत्र पद-३५-वेदना सूत्र-५९४ वेदनापद के सात द्वार हैं। शीत, द्रव्य, शरीर, साता, दुःखरूप वेदना, आभ्युपगमिकी और औपक्रमिकी वेदना तथा निदा और अनिदा वेदना । सूत्र-५९५ __ साता और असाता वेदना सभी जीव वेदते हैं । इसी प्रकार सुख, दुःख और अदुःख-असुख वेदना भी वेदते हैं। विकलेन्द्रिय मानस वेदना से रहित हैं । शेष सभी जीव दोनों प्रकार की वेदना वेदते हैं। सूत्र-५९६ भगवन् ! वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की-शीतवेदना, उष्णवेदना और शीतोष्णवेदना। भगवन् ! नैरयिक शीतवेदना वेदते हैं, उष्णवेदना वेदते हैं, या शीतोष्णवेदना वेदते हैं ? गौतम ! शीतवेदना भी वेदते हैं और उष्णवेदना भी । कोई-कोई प्रत्येक (नरक-) पृथ्वी में वेदनाओं के विषय में कहते हैं-रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक उष्णवेदना वेदते हैं । इसी प्रकार वालुकाप्रभा के नैरयिकों तक कहना । पंकप्रभापृथ्वी के नैरयिक शीतवेदना और उष्णवेदना वेदते हैं, वे नारक बहुत हैं जो उष्णवेदना वेदते हैं और वे नारक अल्प हैं जो शीतवेदना वेदते हैं । धूमप्रभापृथ्वी में भी दोनों प्रकार की वेदना है । विशेष यह कि इनमें वे नारक बहुत हैं, जो शीतवेदना वेदते हैं तथा वे नारक अल्प हैं, जो उष्णवेदना वेदते हैं । तमा और तमस्तमा पृथ्वी के नारक केवल शीतवेदना वेदते हैं । भगवन् ! असुरकुमार ? गौतम ! वे शीतवेदना भी वेदते हैं, उष्णवेदना भी वेदते हैं और शीतोष्णवेदना भी वेदते हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक कहना। वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! चार प्रकार की-द्रव्यतः, क्षेत्रतः, कालतः और भावतः । भगवन् ! नैरयिक क्या द्रव्यतः यावत भावतः वेदना वेदते हैं ? गौतम ! वे द्रव्य से भी वेदना वेदते हैं, यावत भाव से भी वेदना वेदते हैं । इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त है । वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की-शारीरिक, मानसिक और शारीरिक-मानसिक | भगवन् ! नैरयिक शारीरिकवेदना वेदते हैं, मानसिकवेदना वेदते हैं अथवा शारीरिकमानसिकवेदना वेदते हैं ? गौतम ! वे तीनों वेदना वेदते हैं । इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त कहना । विशेष -एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय केवल शारीरिकवेदना ही वेदते हैं। वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की-साता, असाता और साता-असाता | नैरयिक सातावेदना वेदते हैं, असातावेदना वेदते हैं, अथवा साता-असाता वेदना वेदते हैं ? गौतम ! तीनों वेदना वेदते हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की - सुखा, दुःखा और अदुःखसुखा । नैरयिक जीव दुःखवेदना वेदते हैं, सुखवेदना वेदते हैं अथवा अदुःख-सुखावेदना वेदते हैं ? गौतम ! तीनों वेदना वेदते हैं । इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त कहना। सूत्र-५९७ वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की-आभ्युपगमिकी और औपक्रमिकी । नैरयिक आभ्युपगमिकी वेदना वेदते हैं या औपक्रमिकी ? गौतम ! वे औपक्रमिकी वेदना ही वेदते हैं । इसी प्रकार चतुरिन्द्रियों तक कहना | पंचेन्द्रियतिर्यंच और मनुष्य दोनों प्रकार की वेदना का अनुभव करते हैं । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों में नैरयिकों के समान कहना। सूत्र-५९८ वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की - निदा और अनिदा । नारक निदावेदना वेदते हैं, य अनिदावेदना ? गौतम ! नारक दोनों वेदना वेदता है । क्योंकि-गौतम ! नारक दो प्रकार के हैं-संज्ञीभूत और असंज्ञीभूत । जो संज्ञीभूत होते हैं, वे निदावेदना वेदते हैं और जो असंज्ञीभूत होते हैं, वे अनिदावेदना वेदते हैं । इसी मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 170
SR No.034682
Book TitleAgam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages181
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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