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________________ आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना' पद/उद्देश /सूत्र प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त कहना । पृथ्वीकायिक जीव निदावेदना वेदते हैं या अनिदावेदना ? गौतम ! वे अनिदावेदना वेदते हैं । क्योंकि-गौतम ! सभी पृथ्वीकायिक असंज्ञी और असंज्ञीभूत होते हैं, इसलिए अनिदावेदना वेदते हैं । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय पर्यन्त कहना । पंचेन्द्रियतिर्यंच, मनुष्य और वाणव्यन्तर देवों को नैरयिकों के समान जानना । ज्योतिष्क देव निदावेदना वेदते हैं या अनिदावेदना ? गौतम ! वे दोनों वेदना वेदते हैं । क्योंकि-गौतम ! ज्योतिष्क देव दो प्रकार के हैं, - मायिमिथ्यादृष्टिउपपन्नक और अमायिसम्यग्दृष्टिउपपन्नक । जो मायिमिथ्यादृष्टिउपपन्नक हैं, वे अनिदावेदना वेदते हैं और जो अमायिसम्यग्दष्टिउपपन्नक हैं. वे निदावेदना वेदते हैं । वैमानिक देवों के सम्बन्ध में भी इसी प्रकार कहना। पद-३५-का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 171
SR No.034682
Book TitleAgam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages181
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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