________________
आगम सूत्र ११, अंगसूत्र-१, 'विपाकश्रुत'
श्रुतस्कन्ध/अध्ययन/ सूत्रांक
अध्ययन-६ - धनपति सूत्र-४२
हे जम्बू ! कनकपुर नगर था । श्वेताशोकनामक उद्यान था | वीरभद्र यक्ष का यक्षायतन था । राजा प्रियचन्द्र था, रानी सुभद्रादेवी थी । युवराज वैश्रमणकुमार था । उसका श्रीदेवी प्रमुख ५०० श्रेष्ठ राजकन्याओं के साथ विवाह हुआ था । महावीर स्वामी पधारे । युवराज के पुत्र धनपति कुमार ने भगवान से श्रावकों के व्रत ग्रहण किए यावत् गौतम स्वामी ने उसके पूर्वभव की पृच्छा की । धनपतिकुमार पूर्वभव में मणिचयिका नगरी का राजा था । उसका नाम मित्र था । उसने संभूतिविजय नामक अनगार को शुद्ध आहार से प्रतिलाभित किया यावत् इसी जन्म में वह सिद्धिगति को प्राप्त हुआ । निक्षेप-पूर्ववत् ।
अध्ययन-६-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
अध्ययन-७- महाबल सूत्र-४३
हे जम्बू ! महापुर नगर था । रक्ताशोक उद्यान था । रक्तपाद यक्ष का आयतन था । महाराज बल राजा था। सुभद्रा देवी रानी थी । महाबल राजकुमार था । उसका रक्तवती प्रभृति ५०० श्रेष्ठ राजकन्याओं के साथ विवाह किया गया । महावीर स्वामी पधारे । महाबल राजकुमार का भगवान से श्रावकधर्म अङ्गीकार करना, पूर्वभव पृच्छा-गौतम ! मणिपुर नगर था । वहाँ नागदेव गाथापति था । इन्द्रदत्त अनगार को निर्दोष आहार का दान देकर प्रतिलम्भित किया तथा उसके प्रभाव से मनुष्य आयुष्य का बन्ध करके यहाँ पर महाबल के रूप में उत्पन्न हुआ। तदनन्तर उसने श्रमणदीक्षा स्वीकार कर यावत् सिद्धगति को प्राप्त किया । निक्षेप-पूर्ववत् कर लेना चाहिए।
अध्ययन-७-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (विपाकश्रुत) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
Page 49