________________
आगम सूत्र-८, अंगसूत्र-८, 'अंतकृत् दशा'
वर्ग/अध्ययन/ सूत्रांक
वर्ग-२
सूत्र -७
हे जंब ! श्रमण भगवान महावीर ने द्वितीय वर्ग के आठ अध्ययन फरमाये हैं । उस काल और उस समय में द्वारका नाम की नगरी थी । महाराज अंधकवृष्णि राज्य करते थे। रानी का नाम धारिणी था। उनके आठ पुत्र थेसूत्र-८
अक्षोभ, सागर, समुद्र, हैमवन्त, अचल, धरण, पूर्ण और अभिचन्द्र । सूत्र - ९
प्रथम वर्ग के समान इन आठ अध्ययनों का वर्णन भी समझ लेना । इन्होंने भी गुणरत्न तप का आराधन किया और १६ वर्ष का संयम पालन करके अन्त में शत्रुजय पर्वत पर एक मास की संलेखना द्वारा सिद्धिपद प्राप्त किया।
वर्ग-२-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (अंतकृद्दशा) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
Page 7