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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2'
शतक/ वर्ग/उद्देशक/सूत्रांक विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े नरदेव होते हैं, उनसे देवाधिदेव संख्यात-गुणा (अधिक) होते हैं, उनसे धर्मदेव संख्यातगुण होते हैं, उनसे भव्यद्रव्यदेव असंख्यातगुणे होते हैं, और उनसे भी भावदेव असंख्यात गुणे होते हैं। सूत्र-५५९
भगवन् ! भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक, तथा वैमानिकों में भी सौधर्म, ईशान, यावत् अच्युत, ग्रैवेयक एवं अनुत्तरोपपातिक विमानों तक के भावदेवों में कौन (देव) किस (देव) से अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़े अनुत्तरोपपातिक भावदेव हैं, उनसे उपरिम ग्रैवेयक के भावदेव संख्यातगुण अधिक हैं. उनसे मध्यम ग्रैवेयक के भावदेव संख्यातगुणे हैं, उनसे नीचे के ग्रैवेयक के भावदेव संख्यात गुणे हैं । उनसे अच्युतकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, यावत् आनतकल्प के देव संख्यातगुणे हैं । इससे आगे जीवाभि-गमसूत्र की दूसरी प्रतिपत्ति में देवपुरुषों का अल्पबहुत्व कहा है, उसी प्रकार यहाँ भी ज्योतिषी भावदेव असंख्यात-गुणे (अधिक) हैं तक कहना चाहिए । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है।
शतक-१२ - उद्देशक-१० सूत्र-५६०
भगवन् ! आत्मा कितने प्रकार की कही गई है ? गौतम ! आत्मा आठ प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकारद्रव्यात्मा, कषायात्मा, योग-आत्मा, उपयोग-आत्मा, ज्ञान-आत्मा, दर्शन-आत्मा, चारित्र-आत्मा और वीर्यात्मा।।
भगवन् ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, क्या उसके कषायात्मा होती है और जिसके कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा होती है ? गौतम ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके कषायात्मा कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं भी होती । किन्तु जिसके कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है । भगवन् ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, क्या उसके योग-आत्मा होती है और जिसके योग-आत्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा होती है ? गौतम ! द्रव्यात्मा और कषायात्मा के समान द्रव्यात्मा और योग-आत्मा का सम्बन्ध कहना । इसी प्रकार शेष सभी आत्माओं के द्रव्यात्मा के सम्बन्ध में प्रश्न । गौतम! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके उपयोगात्मा अवश्य होती है और जिसके उपयोगात्मा होती है उसके द्रव्यात्मा अवश्यमेव होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है उसके ज्ञानात्मा भजना और जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है । जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्यमेव होती है तथा जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा भी अवश्य होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा भजना से होती है, जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके वीर्य-आत्मा भजना से होती है, किन्तु जिसके वीर्य-आत्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्यमेव होती है।
भगवन् ! जिसके कषायात्मा होती है, क्या उसके योगात्मा होती है ? इत्यादि प्रश्न | गौतम ! जिसके कषायात्मा होती है, उसके योग-आत्मा अवश्य होती है, किन्तु जिसके योग-आत्मा होती है, उसके कषायात्मा भजना से होती है । इसी प्रकार उपयोगात्मा के साथ भी कषायात्मा का सम्बन्ध समझ लेना । कषायात्मा और ज्ञानात्मा का परस्पर सम्बन्ध भजना से कहना । कषायात्मा और उपयोगात्मा के समान ही कषायात्मा और दर्शनात्मा को कहना। कषायात्मा और चारित्रात्मा का (सम्बन्ध) भजना से कहना । कषायात्मा और योगात्मा के समान ही कषायात्मा और वीर्यात्मा के सम्बन्ध कहना।
कषायात्मा के साथ अन्य छह आत्माओं के पारस्परिक सम्बन्ध के समान योगात्मा के साथ भी आगे की पाँच आत्माओं के परस्पर सम्बन्ध समझना । द्रव्यात्मा की वक्तव्यता अनुसार उपयोगात्मा की वक्तव्यता भी आगे की चार आत्माओं के साथ कहनी चाहिए। जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है और जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा भजना से होती है । जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके चरित्रात्मा भजना से होती है और जिसके चरित्रात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा अवश्य होती है । ज्ञानात्मा और वीर्यात्मा इन दोनों का परस्पर-सम्बन्ध भजना से कहना । जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा, ये दोनों भजना से होती है; किन्तु जिसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है । जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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