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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2'
शतक/वर्ग/उद्देशक/ सूत्रांक
शतक-२७ सूत्र-९९१
भगवन् ! क्या जीव ने पापकर्म किया था, करता है और करेगा ? अथवा किया था, करता है और नहीं करेगा? या किया था, नहीं करता और करेगा ? अथवा किया था, नहीं करता और नहीं करेगा ? गौतम ! किसी जीव ने पापकर्म किया था, करता है और करेगा । किसी जीव ने किया था, करता है और नहीं करेगा। किसी जीव ने किया था, नहीं करता है और करेगा । किसी जीव ने किया था, नहीं करता है और नहीं करेगा।
भगवन् ! सलेश्य जीव ने पापकर्म किया था ? इत्यादि पूर्वोक्त प्रश्न । (गौतम !) बन्धीशतक में जो वक्तव्यता इस अभिलाप द्वारा कही थी, वह सभी कहना तथा नौ दण्डकसहित ग्यारह उद्देशक भी कहना।
शतक-२७ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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