________________
आगम सूत्र ५, अंगसूत्र- ५, 'भगवती / व्याख्याप्रज्ञप्ति-2'
शतक / वर्ग / उद्देशक / सूत्रांक आभिनिबोधिकज्ञान और श्रुतज्ञान होते हैं । यदि तीन ज्ञान हों तो आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान होता है। इसी प्रकार बकुश और प्रतिसेवनाकुशील के विषय में जानना चाहिए। भगवन् कषायकुशील में कितने ज्ञान होते हैं ? गौतम कषायकुशील में दो, तीन या चार ज्ञान होते हैं। यदि दो ज्ञान हों तो आभिनिबोधिकज्ञान और श्रुतज्ञान, तीन ज्ञान हों तो आभिनिबोधिकज्ञान, तो आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान और अवीधज्ञान अथवा आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान और मनः पर्यवज्ञान । यदि चार ज्ञान हों तो आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान और मनः पर्यवज्ञान होते हैं। इसी प्रकार निर्ग्रन्थ में जानना । भगवन् ! स्नातक में कितने ज्ञान होते हैं ? गौतम ! एकमात्र केवलज्ञान ।
सूत्र- ९०७
भगवन् ! पुलाक कितने श्रुत का अध्ययन करता है ? गौतम ! जघन्यतः नौवें पूर्व की तृतीय आचारवस्तु तक का और उत्कृष्टतः पूर्ण नौ पूर्वो का भगवन्। बकुश कितने श्रुत पढ़ता है ? गीतम जघन्यतः अष्ट प्रवचन माता का और उत्कृष्ट दस पूर्व का अध्ययन करता है। इसी प्रकार प्रतिसेवनाकुशीलमें समझना। भगवन् । कषाय कुशील कितने श्रुत का अध्ययन करता है ? गौतम ! जघन्य अष्ट प्रवचनमाता का और उत्कृष्ट चौदह पूर्वों का । इसी प्रकार निर्ग्रन्थ में जानना | भगवन् ! स्नातक कितने श्रुत का अध्ययन करता है? गौतम स्नातक श्रुतव्यतिरिक्त होते हैं। सूत्र - ९०८
भगवन्। पुलाक तीर्थ में होता है या अतीर्थ में होता है? गौतम वह तीर्थ में होता है, अतीर्थ में नहीं होता है। इसी प्रकार बकुश एवं प्रतिसेवनाकुशील का कथन समझ लेना। भगवन् कषायकुशील गौतम वह तीर्थ में भी होता है और अतीर्थ में भी होता है। भगवन् ! वह अतीर्थ में होता है तो क्या तीर्थंकर होता है या प्रत्येकबुद्ध होता है ? वह तीर्थकर भी होता है, प्रत्येकबुद्ध भी इसी प्रकार निर्ग्रन्थ और स्नातक को जानना ।
?
सूत्र - ९०९
भगवन् ! पुलाक स्वलिंग में होता है, अन्यलिंग में या गृहीलिंगी होता है ? गौतम ! द्रव्यलिंग की अपेक्षा वह स्वलिंग में, अन्यलिंग में या गृहीलिंग में होता है, किन्तु भावलिंग की अपेक्षा नियम से स्वलिंग में होता है । इसी प्रकार स्नातक तक कहना ।
सूत्र- ९१०
भगवन्! पुलाक कितने शरीरों में होता है? गौतम वह औदारिक, तैजस और कार्मण, इन तीन शरीरों में होता है । भगवन् ! बकुश ? गौतम ! वह तीन या चार शरीरों में होता है। यदि तीन शरीरों में हो तो औदारिक, तैजस और कार्मण शरीर में होता है, और चार शरीरों में हो तो औदारिक, वैक्रिय, तैजस और कार्मण शरीरों में होता है। इसी प्रकार प्रतिसेवनाकुशील में समझना । भगवन् ! कषायकुशील ? गौतम ! वह तीन, चार या पाँच शरीरों में होता है । यदि तीन शरीरों में हो तो औदारिक, तैजस और कार्मण शरीर में होता है, चार शरीरों में हो तो औदारिक, वैक्रिय, तेजस और कार्मण शरीर में होता है और पाँच शरीरों में हो तो औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तेजस और कार्मण शरीर में होता है। निर्ग्रन्थ और स्नातक का शरीरविषयक कथन पुलाक के समान है।
सूत्र - ९११
भगवन् । पुलाक कर्मभूमि में होता है या अकर्मभूमि में होता है ? गौतम जन्म और सद्भाव की अपेक्षा कर्मभूमि में होता है, अकर्मभूमि में नहीं होता । बकुश गीतम जन्म और सद्भाव से कर्मभूमि में होता है। संहरण की अपेक्षा कर्मभूमि में भी और अकर्मभूमि में भी होता है। इसी प्रकार स्नातक तक कहना ।
!
सूत्र - ९१२
भगवन् ! पुलाक अवसर्पिणीकाल में होता है, उत्सर्पिणीकाल में होता है, अथवा नोअवसर्पिणी-नोउत्सर्पिणीकाल में होता है ? गौतम ! पुलाक अवसर्पिणीकाल में भी होता है, उत्सर्पिणीकाल में भी होता है तथा नोअवसपिंणी नोउत्सर्पिणीकाल में भी होता है। यदि पुलाक अवसर्पिणीकाल में होता है, तो क्या वह सुषम-सुषमाकाल में होता है अथवा यावत् दुःषम दुःषमाकाल में होता है ? गौतम (पुलाक) जन्म की अपेक्षा सुषम- सुषमा और
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " ( भगवती २ ) आगमसूत्र - हिन्द- अनुवाद”
Page 196