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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2'
शतक/वर्ग/उद्देशक/ सूत्रांक सूत्र - ७८४
भगवन् ! गर्भ में उत्पन्न होता हुआ जीव कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले परिणामों से युक्त होता है ? गौतम ! बारहवें शतक के पंचम उद्देशक के अनुसार यहाँ भी-कर्म से जगत है, कर्म के बिना जीव में विविध (रूप से जगत का) परिणाम नहीं होता, यहाँ तक । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है।
शतक-२० - उद्देशक-४ सूत्र-७८५
भगवन् ! इन्द्रियोपचय कितने प्रकार का कहा है ? गौतम ! पाँच प्रकार का है, श्रोत्रेन्द्रियोपचय इत्यादि सब वर्णन प्रज्ञापनासूत्र के द्वीतिय इन्द्रियोद्देशक समान कहना चाहिए। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, यह इसी प्रकार है
शतक-२० - उद्देशक-५ सूत्र-७८६
भगवन ! परमाणु-पुदगल कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला कहा गया है ? गौतम ! (वह) एक वर्ण, एक गन्ध, एक रस और दो स्पर्श वाला कहा गया है । यदि एक वर्ण वाला हो तो कदाचित् काला, कदाचित् नीला, कदाचित् लाल, कदाचित् पीला और कदाचित् श्वेत होता है । यदि एक गन्ध वाला होता है तो कदाचित् सुरभिगन्ध
और कदाचित् दुरभिगन्ध वाला होता है । यदि एक रस वाला होता है तो कदाचित् तीखा, कदाचित् कटुक, कदाचित् कसैला, कदाचित् खट्टा और कदाचित् मीठा होता है । यदि दो स्पर्श वाला होता है तो कदाचित् शीत और स्निग्ध, कदाचित् शीत और रूक्ष, कदाचित् उष्ण और स्निग्ध और कदाचित् उष्ण और रूक्ष होता है।
भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, आदिवाला होता है? गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक अनुसार यावत् कदाचित् चार स्पर्श वाला तक कहना । यदि वह एक वर्ण वाला होता है तो कदाचित् काला यावत् श्वेत होता है । यदि वह दो वर्ण वाला होता है तो कदाचित् काला और नीला, कदाचित् काला और लाल, कदाचित् काला और पीला, कदाचित् काला और श्वेत, कदाचित् नीला और लाल, कदाचित् नीला और पीला, कदाचित् नीला और श्वेत, कदाचित् लाल और पीला, कदाचित् लाल और श्वेत और कदाचित् पीला और श्वेत होता है । इस प्रकार द्विकसंयोगी दस भंग होते हैं । यदि वह एक गन्ध वाला होता है तो कदाचित् सुरभिगन्ध, कदाचित् दुरभिगन्ध वाला होता है । यदि दो गन्ध वाला है तो दोनों-सुरभिगन्ध और दुरभिगन्ध वाला होता है । वर्ण के समान रससम्बन्धी पन्द्रह भंग होते हैं। यदि दो स्पर्श वाला होता है तो शीत और स्निग्ध इत्यादि चार भंग परमाणुपुद्गल के समान जानना । यदि वह तीन स्पर्श वाला होता है तो सर्व शीत होता है, उसका एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, सर्व उष्ण होता है, उसका एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, (अथवा) सर्व स्निग्ध होता है, उसका एक देश शीत और एक देश उष्ण होता है, अथवा सर्व रूक्ष होता है, उसका एक शीत ओर एक देश उष्ण होता है, यदि वह चार स्पर्श वाला होता है तो उसका एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । इस प्रकार स्पर्श के नौ भंग होते हैं
भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श वाला है ? गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक अनुसार कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है तक कहना । यदि एक वर्ण वाला होता है तो कदाचित् काला होता है, यावत् श्वेत होता है । यदि दो वर्ण वाला होता है तो उसका एक अंश कदाचित् काला और एक अंश नीला होता है, अथवा उसका एक अंश काला और दो अंश नीले होते हैं, या उसके दो अंश काले और एक अंश नीला होता है, अथवा एक अंश काला और एक अंश लाल होता है, या एक देश काला और दो देश लाल होते हैं, अथवा दो देश काले और एक देश लाल होता है। इसी प्रकार काले वर्ण के पीले वर्ण के साथ तीन भंग, काले वर्ण के साथ श्वेत वर्ण के तीन भंग । इसी प्रकार नीले वर्ण के लाल वर्ण के साथ तथा नीले वर्ण के पीले के साथ और श्वेत वर्ण के साथ तीन तीन भंग । तथैव लाल और पीले के तीन भंग होते हैं । इसी प्रकार लाल वर्ण के तीन भंग श्वेत के साथ । पीले और श्वेत के भी तीन भंग । ये सब दस द्विसंयोगी मिलकर तीस भंग होते हैं । यदि त्रिप्रदेशी स्कन्ध तीन वर्णों वाला होता है तो कदाचित् काला, नीला और लाल होता है, कदाचित् काला, नीला और पीला होता है, कदाचित् काला, नीला और श्वेत
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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