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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2'
शतक/ वर्ग/उद्देशक/सूत्रांक होता है, कदाचित् काला, लाल और पीला होता है, कदाचित् काला, नीला और श्वेत होता है, कदाचित् काला, लाल
और पीला होता है, कदाचित् काला, लाल और श्वेत होता है, कदाचित् काला, पीला और श्वेत होता है, कदाचित् नीला, लाल और पीला होता है, कदाचित् नीला, लाल और श्वेत होता है, कदाचित् नीला, पीला और श्वेत होता है, अथवा कदाचित् लाल, पीला और श्वेत होता है । इस प्रकार ये दस त्रिकसंयोगी भंग होते हैं।
यदि एक गन्ध वाला होता है तो कदाचित् सुगन्धित होता है, या कदाचित् सुगन्धित होता है । यदि दो गन्ध वाला होता है तो सुगन्धित और दुर्गन्धित के तीन भंग होते हैं । वर्ण के समान रस के भी (४५ भंग) (कहने चाहिए) (त्रिप्रदेशी स्कन्ध) यदि दो स्पर्श वाला होता है, तो कदाचित् शीत और स्निग्ध, इत्यादि चार भंग द्विप्रदेशी स्कन्ध के समान यहाँ भी समझने चाहिए । जब वह तीन स्पर्श वाला होता है तो सर्वशीत, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है, अथवा सर्वशीत, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होता है, अथवा सर्वशीत अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है, या सर्वउष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। यहाँ भी पूर्ववत तीन भंग होते हैं। अथवा कदाचित् सर्वस्निग्ध, एकदेश शीत और एकदेश उष्ण, यहाँ भी पूर्ववत् तीन भंग कहना । अथवा सर्वरूक्ष, एकदेश शीत और एकदेश उष्ण, इसके भी पूर्ववत तीन भंग होते हैं। कुल मिलाकर त्रिकसंयोगी त्रिस्पर्शी के बारह भंग होते हैं । यदि त्रिकप्रदेशी स्कन्ध चार स्पर्श वाला होता है, तो एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । अथवा एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं । अथवा एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । अथवा एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । या एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं । अथवा एकदेश शीत अनेकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । या अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष । अथवा अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष । अथवा अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । इस प्रकार त्रिप्रदेशिक स्कन्धमें स्पर्श के कुल पच्चीस भंग होते हैं। भगवन् ! चतुःप्रदेशीस्कन्ध कितने वर्णवाला होता है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशकवत् कहना चाहिए । यदि वह एक वर्ण वाला होता है तो कदाचित् काला, यावत् श्वेत होता है । जब दो वर्ण वाला होता है, तो कदाचित् उसका एक अंश काला और एक अंश नीला होता है, कदाचित् एकदेश काला और अनेकदेश नीले होते हैं, कदाचित् अनेकदेश काले और एकदेश नीला होता है, कदाचित् अनेकदेश काले और अनेकदेश नीले होते हैं । अथवा कदाचित् एकदेश काला और एकदेश लाल होता है; यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग । अथवा कदाचित् एकदेश काला और एकदेश पीला; इत्यादि पूर्ववत् चार भंग । इसी तरह अथवा कदाचित् एक अंश काला और एक अंश श्वेत, इत्यादि पूर्ववत् चार भंग । अथवा कदाचित् एक अंश नीला और एक अंश लाल आदि पूर्ववत् चार भंग । कदाचित् नीला और पीला के पूर्ववत् चार भंग । कदाचित् नीला और श्वेत के पूर्ववत् चार भंग । फिर कदाचित् लाल और पीला के पूर्ववत् चार भंग । कदाचित् लाल और श्वेत के पूर्ववत् चार भंग। इसी प्रकार अथवा कदाचित् पीला और श्वेत के भी चार भंग कहना। यों इन दस द्विकसंयोग के ४० भंग होते हैं।
यदि वह तीन वर्ण वाला होता है तो-कदाचित् काला, नीला और लाल होता है, अथवा कदाचित् एक अंश काला, एक अंश नीला और अनेक अंश लाल होते हैं, अथवा कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला और एकदेश लाल होता है । अथवा कदाचित् अनेकदेश काले, एकदेश नीला और एकदेश लाल होता है । इस प्रकार प्रथम त्रिकसंयोग के चार भंग होते हैं । इसी प्रकार द्वीतिय त्रिकसंयोग-काला, नीला और पीला वर्ण के चार भंग, तृतीय त्रिकसंयोग-काला, नीला और श्वेत वर्ण के चार भंग, काला, लाल और पीला वर्ण के चार भंग, काला, लाल और श्वेत वर्ण के चार भंग, अथवा काला, पीला और श्वेत वर्ण के चार भंग, अथवा नीला, लाल और पीला वर्ण के चार भंग, या नीला, लाल और श्वेत वर्ण के चार भंग; अथवा नीला, पीला और श्वेत वर्ण के चार भंग होते हैं । इस प्रकार १० त्रिकसंयोगों के प्रत्येक के चार-चार भंग होने से सब मिलाकर ४० भंग हुए।
यदि वह चार वर्ण वाला होता है तो कदाचित् काला, नीला, लाल और पीला होता है, कदाचित् काला, लाल,
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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