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________________ आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान' स्थान/उद्देश/सूत्रांक सूत्र-४३५ पाँच ज्योतिष्क देव कहे गए हैं । यथा-चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, तारा। पाँच प्रकार के देव कहे गए हैं । यथा-भव्य द्रव्य देव-देवताओं में उत्पन्न होने योग्य मनुष्य और तिर्यंच । नर देव-चक्रवर्ती । धर्मदेव-साधु । देवाधिदेव-अरिहंत । भावदेव-देवभव के आयुष्य का अनुभव करने वाले भवनपति आदि के देव। सत्र-४३६ ___ पाँच प्रकार की परिचारणा (विषय सेवन) कही गई हैं । यथा काय परिचारणा केवल काया से मैथुन सेवन करना । यह परिचारणा दूसरे देवलोक तक होती है । स्पर्श परिचारणा-केवल स्पर्श होने से विषयेच्छा की पूर्ति होना । यह तीसरे चौथे देवलोक तक होती है । रूप परिचारणा-केवल रूप देखने से विषयेच्छा की पूर्ति होना । यह परिचारणा पाँचवे, छठे देवलोक तक होती है । शब्द परिचारणा केवल शब्द श्रवण से विषयेच्छा की पूर्ति होना । यह परिचारणा सातवे, आठवे देवलोक तक होती है । मन परिचारणा-केवल मानसिक संकल्प से विषयेच्छा की पूर्ति होना । यह परिचारणा नवमें से बारहवे देवलोक तक होती है। सूत्र - ४३७ चमर असुरेन्द्र की पाँच अग्रमहिषियाँ कही गई हैं । यथा-काली, रात्रि, रजनी, विद्युत, मेघा । बलि वैरोच-नेन्द्र की पाँच अग्रमहिषियाँ कही गई हैं । यथा-शुभा, निशुभा, रंभा, निरंभा, मदना । सूत्र-४३८ चमर असुरेन्द्र की पाँच सेनाएं हैं और उनके पाँच सेनापति हैं । यथा-पैदल सेना, अश्व सेना, हस्ति सेना, महिष सेना, रथ सेना। पाँच सेनापति है । द्रुम-पैदल सेना का सेनापति । सौदामी अश्वराज-अश्व सेना का सेनापति । कुंथु हस्ती राज-हस्तिसेना का सेनापति । लोहिताक्षमहिषराज-महिष सेना का सेनापति । किन्नर-रथ सेना का सेनापति। बलि वैरोचनेन्द्र की पाँच सेनाएं हैं और उनके पाँच-पाँच सेनापति हैं । यथा-पैदल सेना-यावत् रथ सेना । पाँच सेनापति हैं । महद्रुम-पैदल सेना के सेनापति । महासौदाम अश्वराज-अश्वसेना के सेनापति । मालंकार हस्ति-राजहस्तिसेना के सेनापति । महालोहिताक्ष महिषराज-महिष सेना के सेनापति । किंपुरुष-रथसेना के सेनापति। धरण नागकुमारेन्द्र की पाँच सेनाएं हैं और उनके पाँच सेनापति हैं, यथा-पैदल सेना-यावत् रथ सेना । पाँच सेनापति हैं । भद्रसेन-पैदल सेना के सेनापति । यशोधर अश्वराज-अश्व सेना के सेनापति । सुदर्शन हस्तिराज-हस्ति सेना के सेनापति । नीलकंठ महिषराज-महिष सेना के सेनापति । आनन्द-रथ सेना के सेनापति। भूतानन्द नागकुमारेन्द्र की पाँच सेनाएं हैं । यथा-पैदल सेना-यावत् रथ सेना । पाँच सेनापति हैं । दक्ष-पैदल सेना का सेनापति । सुग्रीव अश्वराज-अश्व सेना का सेनापति । सुविक्रम हस्तिराज-हस्ति सेना का सेनापति । श्वेतकण्ठ महिषराज-महिष सेना का सेनापति । नन्दुत्तर-रथ सेना का सेनापति । वेणुदेव सुपर्णेन्द्र की पाँच सेनापति और पाँच सेनाएं । यथा-पैदल सेना यावत् रथ सेना | धरण के सेनापतियों के नाम के समान वेणुदेव के सेनापतियों के नाम हैं । भूतानन्द के सेनापतियों के नाम के समान वेणुदालिय के सेनापतियों के नाम हैं। धरण के सेनापतियों के नाम के समान सभी दक्षिण दिशा के इन्द्रों के यावत् घोष के सेनापतियों के नाम हैं। भूतानन्द के सेनापतियों के नाम के समान सभी उत्तर दिशा के इन्द्रों के यावत् महाघोष के सेनापतियों के नाम हैं। शक्रेन्द्र की पाँच सेनाएं हैं और उनके पाँच सेनापति हैं । यथा-पैदलसेना, अश्वसेना, गजसेना, वृषभसेना, रथसेना । हरिणैगमैषी-पैदलसेना का सेनापति । वायु अश्वराज-अश्वसेना का सेनापति । एरावण हस्तिराज-हस्ति सेना का सेनापति । दामर्धि वृषभराज-वृषभ सेना का सेनापति । माढर-रथ सेना का सेनापति। ईशानेन्द्र की पाँच सेनाएं हैं, और उनके पाँच सेनापति हैं । यथा-पैदल सेना यावत् वृषभ सेना और रथ सेना। मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (स्थान)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 91
SR No.034669
Book TitleAgam 03 Sthanang Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size4 MB
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