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स्थान/उद्देश/सूत्रांक
आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान' सूत्र-१७
प्रत्येक शरीर नामकर्म के उदय से होने वाले शरीर में जीव एक है। सूत्र-१८
जीवों की बाह्यपुद्गलों को ग्रहण किये बिना की जाति विकुर्वणा एक है। सूत्र-१९
मन का व्यापार एक है। सूत्र-२०
वचन का व्यापार एक है। सूत्र-२१
काया का व्यापार एक है। सूत्र-२२
उत्पाद एक है। सूत्र-२३
विनाश एक है। सूत्र - २४
मृतात्मा का शरीर एक है। सूत्र-२५
गति एक है। सूत्र- २६
__ आगति एक है। सूत्र - २७
च्यवन-मरण एक है। सूत्र-२८
उपपाच जन्म एक है। सूत्र- २९
तर्क-विमर्श एक है। सूत्र-३०
संज्ञा एक है। सूत्र - ३१
मनन-शक्ति एक है। सूत्र-३२
विज्ञान एक है। सूत्र-३३
वेदना एक है। सूत्र - ३४
छेदन एक है। सूत्र-३५
भेदन एक है।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (स्थान)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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