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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वटुंति कप्पंति से दो वि पडिगाहित्तए, तत्थ से पुब्बागमणेणं दो वि पच्छाउत्ताई नो से कपंति दो वि पडिग्गाहित्तए, जे से तत्थ पुब्बागमणेणं पुब्बाउत्ते से कप्पद पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुवागमणेणं पच्छाउत्ते से नो कप्पइ पडिग्गाहित्तए ॥२५७ ॥ वासावासं पज्जोसवि० निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिझिय २ वुट्ठिकाए निवएज्जा कप्पइ से अहे आरामंसि वा अदे उवरसयसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ पुवगहिएणं भत्तपाणेणं वेलं उवाइणावित्तए, कप्पइ से पुवामेव वियडगं भोचा पिचा पडिग्गहगं संलिहिय सं २ पमजिय २ एगायगं भंडगं कटु जाव सेसे सूरिए जेणेव उवस्सए तेणेव उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ तं स्यणि तत्थेव उवायणावित्तए॥२५८॥ वासावासं पज्जोसवि० निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिझिय २ वुटिकाए निवइज्जा कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा जाव उवागच्छित्तए, तत्थ नो कप्पड़ एगस्स य निगंथस्स एगाए य निमाथीए एगपओ त्रिहित्तए, तत्थ नो कपइ एगस्स निगंथस्म दोण्ह य निग्गंधीणं एगयओ चिद्वित्तए, तत्य नो कप्पइ एगस्स निग्गंधस्स दोण्ह य निगंथीणं एगयओ चिट्ठित्तए, तत्थ नो कप्पइ दोण्ह य निगंथाणं एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिट्ठित्तए, तत्थ नो कप्पइ दोण्ह य निमांथाणं दोण्ह य निमगंधीणं एगयओ चिट्टित्तए, अत्थि या इत्य केइ पंचमए खुड्डुए वा खुड्डिया वा अमेसि वा संलोए सपडिदुवारे एवण्हं कप्पइ एगयओ चिहित्तए ॥२५९॥ वासावासं पज्जोसवि० निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्प - १ कटु जेमेत्र क-बिना ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.034664
Book TitleKalpsutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorPunyavijay, Bechardas Doshi
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1952
Total Pages255
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & agam_kalpsutra
File Size5 MB
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