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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वा पाणाए वा नि०प०॥२५३॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ अगिहंसि पिंडवायं पडिग्गाहित्ता पज्जोसवित्तए, -पेज्जोसवेमाणस्स सहसा बुट्टिकाए निवडिज्जा- देस भोचा देसमायाय पाणिणा पाणिं परिपिहिता उरंसि वाणं निलिज्जिज्जा, कक्खंसि वा णं समाहेडिज्जा, अहाछनाणि वा लयणाणि उवागच्छिज्जा, रुक्खमूलाणि वा उवागच्छिज्जा, जहा से पाणिसि दते वा दतरए वा दगफुसिया वा नो परियावज्जइ॥२५४॥ वासावासं पज्जोसवि० पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स जं किंचि कणगफुसियमित्तं पि निवडइ नो से कप्पइ भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२५५॥- वासावासं पज्जोसवि० पडिग्गहधारिस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ वग्धारियटिकायसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, कप्पइ से अप्पट्टिकायंसि संतरुत्तरंसि गाहावइकुलं भत्ताए पाणाए वा नि० वा ५० वा ॥ २५६ ॥ (ग्रं० ११००) वासावासं पज्जो निरगंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविठुस्स निगिन्झिय २ बुटिकाए निवएज्जा कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, तत्थ से पुवागमणेणं पुब्बाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउत्ते भिलंगसूवे कप्पड़ से चाउलोदणे पडिग्गाहित्तए नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिग्गाहित्तए, तत्थ से पुब्बागमणेणं पुवाउत्ते भिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे कप्पइ से भिलिंगसूवे पडिग्गाहित्तए नो से कप्पड़ चाउलोदणे पडिग्गाहित्तए, तत्थ से पुवागमणेणं दो वि पुवाउत्ताई १- पतस्चिमध्यात : पाठ : छ-एव ॥ २ ०हरिज्जा क ॥ ३ था लेणाणि क बिना ॥ ४ जा, निरो(रा)वरिमं वा रुस्तमूल उवासेज्जा, जहा च॥ ५ °वज्ञज्जा। ७॥ ६ - पतच्चिमध्यवर्ति सत्र च- मालि॥ For Private And Personal Use Only
SR No.034664
Book TitleKalpsutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorPunyavijay, Bechardas Doshi
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1952
Total Pages255
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & agam_kalpsutra
File Size5 MB
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