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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नविस्त यं अरहमो कालंगपस्स जॉब पहीणस पंच वाससयसहस्साई चउरासीइं च वाससहस्साई भव यं वाससमाई विइंकताई, दसमस्स य वासतबस्स अब असीइमे संवच्छरे काले गच्छद ।। १७०॥ मुणिसुव्वयस्स पं अरहमओ कासगवस जाव प्पहीणस एकारस वासस्पसहस्साई चरासीदं च वाससहस्साई व य वासमयाई विड़कंताई, दसमस्स य वासमयस्स भयं असहमे संकच्छरे गच्छइ ।। १७१॥ मल्लिस्स णं अरहओ जाव पीपस्स पन्बढेि असमयसहस्साई चउरासीइं वाससहस्साई नब य वास सयाई विचंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीहमे संवच्छरे काले गच्छद ॥ १७२॥ अरस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स एगे वासकोडिसहस्से वितिकते, सेसं जा मल्लिस । तं च एयं-पंचसद्धि लाखा चउरासीइसहस्सा विइकता तम्मि समए महावीरो निबुंभो, स्तों पर नव सया विकता, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीहमें संवेच्छरे गच्छछ। एवं अग्गओ जाव सेयंसो ताव दट्ठव्वं ॥ १७३॥ कुंथुस्स णं अरहओ जाव प्पहीणस्स एगे चउभागपलिओवमे विहकते पंचैसढि च सयसहस्सा सेसं जहा मजिस्म ॥ १७४ ॥ संतिस्स णं अरहओ जाव प्पहीणस्स एगे चउमाणे पलितोवमे विहकते पन्नर्द्वि च, सेस जहा मल्लिस्स ।। १७५॥ ___ धम्मस्स अरहओ जाव पहीणस्स तिन्नि सागरोधमाई विहकताई पनट्टि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १७६ ।। अणंतस्स णं जावप्पहीणस्स सत्त सागरोवमाई विइकताई पनदि. च, सेसं जहा मलिस्म ॥ १७७ ॥ ! पणसटिक ॥ २ परिनियुभो छ । पण्णढेि ७ ॥ ४ अतास्स ग-4 ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.034664
Book TitleKalpsutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorPunyavijay, Bechardas Doshi
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1952
Total Pages255
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & agam_kalpsutra
File Size5 MB
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