SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विमलस्स णं जाव प्पहीणस्स सोलस सागरोवमाई विहकताई पन्न४ि च सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १७८॥ वासुपुजस्स णं अरहओ जाव प्पहीणस्स छायालीसं सागरोवमाहं विइकंताई सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १७९ ॥ सेजंसस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स एगे सागरोवमसए विइकते पनहि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १८०॥ सीयलस्स णं जाव प्पहीणस्स एगा सागरोवमकोडी तिवासअट्टनवमासाहियवायालीसवाससहस्सेहिं उणिया विकता, एयम्मि समए वीरे निखुए, तओ वि य णं परं नव वाससयाई विइकंताई, दसमस्स य वाससयस अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छद ॥ १८१॥ सुविहिस्स णं अरहओ पुष्पदंतस्स काल जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवमकोडीओ विइकंताओ, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इमं-तिवासअद्धनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआ विइकता इन्चाइ ॥ १८२॥ चंदप्पहस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स एगं सागरोवमकोडिसंयं विइकंतं सेसं जहा सीतलस्स, तं च इमं-तिवासअद्धनवमासाहियबायालीससहस्सेहिं ऊणिगामिचाइ ॥ १८३॥ सुपासस्स णं जाव प्पहीणस्स एगे सागरोवमकोडीसहस्से विहक्कते, सेसं जहा सीयलस्स, तं च इमं-तिवासअद्धनवमासाहियबायालोससहस्सेहिं ऊणिया विइक्कंता इन्चाइ ॥ १८४॥ पउमप्पभस्स णं जाव प्पहीणस्स दससागरोवमकोडिसहस्सा विह १ भगवी व ॥२ चेमे स्त्र । चिमै ग॥ For Private And Personal Use Only
SR No.034664
Book TitleKalpsutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorPunyavijay, Bechardas Doshi
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1952
Total Pages255
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & agam_kalpsutra
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy