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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महावीरे माऊए अयमेयारूवं अन्झत्थियं पत्थियं मणोगयं मंकप्पं समुप्पण्णं विजाणित्ता एगदेसेणं एयइ॥८९॥ तए णं सा तिसला खत्तियाणी हट्टतुट्ठ जाव हियया एवं वयासिनो खलु मे गन्मे हड़े जाव नो गलिए, मे गम्भे पुब्बि नो एयइ इयाणि एयइ ति कट्टु हट्टतुट्ठ जाव एवं वा विहरइ॥९०॥ तए णं समणे भगवं महावीरे गम्भत्थे चेव इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ नो खलु मे कप्पइ अम्मापिएहिं जीवंतेहिं मुंडे भवित्ता अगारवासाओ अणगारियं पव्वइत्तए ॥९१॥ तए णं सा तिसला खत्तियाणी हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छिता सब्बालंकारभूसिया तं गम्भं नाइसीएहिं नाइउण्हेहि नाइतित्तेहिं नाइकडएहि नाइकसाइएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहुरेहिं नातिनिधेहिं नातिलुक्खेहिं नातिउल्लेहिं नातिसुक्केहि उड्डुभयमाणसुहेहि भोयणच्छायणगंधमल्लेहिं ववगयरोगसोगमोहभयरित्तासा जं तस्स गभस्स हिय मियं पत्थं गम्भपोसणं तं देसे य काले य आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहि सयणासणेहिं पइरिकसुहाए मणाणुकूलाए विहारभूमीए पसत्यदोहला संपुनदोहला सम्माणियदोहला अविमाणियदोहला वुच्छिन्नदोहला विणीयदोहला सुहं सुहेणं आसयइ सयति चिट्टइ निसीयइ तुयट्टइ सुहं सुहेणं तं गम्भं परिवहइ ॥ ९२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे चित्तसुद्धे तस्स णं चित्तसुद्धस्स तेरसीदिवसेणं नवण्हं मासाणं बहु १०सा अंगुलियाए कुच्छिभागसि पगदेसेणं एयति ॥८९॥ तते ण सातिसळाखत्तियाणी ते गम्भं पयमाण बेयमाणं चलमाण फंदमाणं जाणित्ता 8 जाब रोमकूधा एवं च णो खलु मे बरे से गठभे नो खलु मे मटे से गठभे णो खलु मे चुप से गम्भे णो खलु मे गलिते से गम्भे, पस मे गम्भे पुब्धि को ययति इदाणि पयति ति कट्ट हट्ट जाय रोमकूषा ॥ ९०.७॥ २ गभगते घेष समाणे इमे च॥ ३ °यणओदणगंधमल्लालंकारेहिं बव० ॥ ४०परिस्समा जं अर्वा० ।। ५०ला वषणीय० अर्वा1 सीपलखेण भव०॥ For Private And Personal Use Only
SR No.034664
Book TitleKalpsutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorPunyavijay, Bechardas Doshi
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1952
Total Pages255
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & agam_kalpsutra
File Size5 MB
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