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विभक्ति संवाद दीनबन्धो! आप सर्वज्ञ हैं, आप से क्या छिपा हुआ है ? फिर भी मैंने अपनी जो विशेषताएँ थीं; आपके सामने निवेदन कर दी हैं। अतः प्रभो! अब तो आप सब से पहले मेरे ही सम्बन्ध में अपनी सुमधुर वाणी का प्रकाश करें।
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