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सिद्धान्तकल्पवल्ली
। साक्षिस्वरूपनिर्णयवाद
नाटकदीपे साक्षी जीवो नेति प्रदर्शितः स पुनः । नेशोऽपि किन्तु शुद्धं प्रत्यग्ब्रह्मेति तत्त्वदीपेऽपि ।। ८४ ॥ एको देव इति श्रुत्यनुरोधादीश्वरस्यैव । कश्चिद्भेदः साक्षीत्युपपादितमस्ति तत्त्वकौमुद्याम् ॥ ८५ ॥
स्वावच्छेदकदेहद्वयस्य साक्षादीक्षणानिर्विकारत्वाच साक्षीत्युच्यत इत्यर्थः ॥ ८३ ॥ ___ कूटस्थदीपोक्तसाक्षी किं जीवकोटिः ? उत ईश्वरकोटिरिति विशये तन्निर्णयार्थमिदमाह-नाटकेति । नाटकदीपे यथा नृत्तशालास्थितो दीपः प्रभ्वादिक प्रकाशयन् तदभावेऽपि प्रकाशते, एवं साक्षी जीवादिकं प्रकाशयन् सुषुप्तौ तदभावेऽपि प्रकाशत इति साक्षी न जीव इति दर्शितम् । तत्त्वदीपेऽपि साक्षी न जीवः नाऽपि ईश्वरः, 'केवलो निर्गुणश्च' इति श्रुतिविरोधात् । किन्तु अस्पृष्टविभागं सर्वप्रत्याभूतं ब्रह्मेति दर्शित इत्यर्थः ॥ ८४ ॥
"एको देवः' इति देवत्वश्रुतिविरोधात् परमेश्वरस्यैव कश्चिद्रूपभेदो जीवप्रवृत्तिनिवृत्त्योरनुमन्ता स्वयमुदासीनः साक्षीति मतान्तरमाह-एक इति ॥८५॥ __ यह जो साक्षी कहलाता है, वह कौन है ? ऐसा प्रश्न होनेपर इसका उत्तर कहते हैं-पञ्चदशीके कूटस्थदीपनामक प्रकरणमें कहा गया स्थूल और सूक्ष्म-इन दो देहोंका जो अधिष्ठान कूटस्थ चैतन्य है, वह साक्षी है अर्थात् अपने अस्वावच्छेदकी भूत दो देहोंका साक्षात् ईक्षण करनेसे और स्वयं निर्विकार होनेसे उक्त चैतन्य ही 'साक्षी' कहलाता है ।। ८३ ॥
कूटस्थदीपमें जो साक्षी कहा है, वह जीवकोटि है या ईश्वरकोटि ? ऐसा संशय होनेपर निर्णयके लिए कहते हैं-'नाटकदीपे' इत्यादिसे ।
पञ्चदशीके नाटकदीप प्रकरणमें-जैसे नृत्तशालास्थित दीप प्रभु (नृताध्यक्ष) आदिका प्रकाशन करता हुआ प्रभु आदिके अभावमें भी प्रकाशित होता है, वैसे ही साक्षी जीवादिका प्रकाशन करता हुआ सुषुप्तिमें जीवादिके न होनेपर भी प्रकाशित होता हैइससे साक्षी जीव नहीं है, ऐसा प्रदर्शित किया गया। तत्त्वदीपप्रकरणमें भी साक्षी न तो जीव है, न ईश्वर है, किन्तु शुद्ध प्रत्यग्ब्रह्म ही है; अन्यथा 'केवलो निगुणश्च' ( साक्षी केवल और निर्गुण है ) इस श्रुतिसे विरोध होगा, इसलिए अस्पृष्टविभाग (निर्विभाग) सर्वप्रत्यग्भूत ब्रह्मरूप ही साक्षी है ।। ८४ ॥
साक्षीके स्वरूपके निर्णयमें मतान्तर दिखलाते हैं-'एको' इत्यादिसे ।।
‘एको देवः' इत्यादि साक्षीके स्वरूपका निरूपण करनेवाली देवत्वश्रुतिके अनुरोधसे परमेश्वरका ही कोई भेद अर्थात् स्वरूपान्तर, जो कि जीवकी प्रवृत्ति और
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