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श्वेताम्बर तेरापंथ-मत समीक्षा ।
मासकल्प कराते हो, यह किस मूत्रकी आज्ञा है ।
५१ तुम्हारी साध्विएं पाट-पट्टेके ऊपर बैठकर पर्षदाके बीचमें व्याख्यान देती हैं, यह किस सूत्रकी आज्ञा है ? ।
५२ तुम्हारे मृत साधुको १ मुहूर्त अपनी निश्रामें रखते हैं. गृहस्थोंसे वंदणा करवाते हैं, मृतसाधु, बडी दीक्षावाला हो तो छोटी दीक्षावाला साधु, उसको बंदणा करता है, यह सब विधि किस सूत्र में कही है ?।
५३ 'भीखमजी, पांचवे देवलोकके ब्रह्म नामक इन्द्र हुए' ऐसे कहते हों, तो यह बात किस सूत्रमें कही है ?।।
५४ तुम्हारे साधु, पुस्तक बनाकरके छपवाते हैं, वह किस सूत्रकी आज्ञासे ?।
५५ साधुओंके लिये, सूत्रमोल लेते हो, और साधुओंको देतेहो यह किस सूत्रकी आज्ञा है ।
५६ तुम्हारे साधुओंको खानेका सामान ऊंटपर लाद लाद करके लेजाते हो, सामने जाकरके साधुओंको आहार देते हो, यह किस मूत्रकी आज्ञासे ?।
५७ तुम्हारे साधु, आधाकर्मी आहारको लेते हैं, जब तुम्हारे पूज्यको बंदणा करनेको जाते हो, तब नानाप्रकारकी चीजें बनाकर बेहराते हो, यह किस सूत्रकी आज्ञासे करते हो ।
५८ जिस समय तुम्हारे पूज्यको बंदणा करनेको जाते हो, तब मिश्री-घेवर-लड्डु वगैरह बाँटते हो, यह किस सूत्रकी आज्ञा है ?।
५९ जब तुम्हारे पूज्यको बंदण करनेको जाते हो, तब सगे-शंबन्धियोंको जिमाते हो-आरंभ समारंभके कार्य करते हो, इसका दोष तुम्हारे पूज्यको लगता है कि नहीं ? अगर नहीं लगता है तो सूत्रका पाठ दिखलाओ।
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