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श्वेताम्बर तेरापंथ-पत समीक्षा
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६० तुम्हारे पूज्यको बंदणा करनेको जाते हो, तब वहीं लडके-लडकियाँको देख करके आपनमें सगाई करते हो, तो इसका दोष तुम्हारे पूज्यको क्यों न लगना चाहिये ?
६१ तुम्हारे शाधुओंके मलिन कपडोंमें जब जू पडती हैं, तब वे निकाल निकाल करके पैरोमें पाटे बाँध करके उसमें रखते हैं, तो ऐसा करनेको किस सूत्रमें कहा है ।
६२ तुम्हारे साधु उष्णकालमें कोरी हांडीमें पानी ठंढा करके पीते हैं, यह कीस सूत्रकी आज्ञासे ?।
६३ जिन मंदिरस्वामिके सामने आप लोग क्रिया करते हो, उन मंदिरस्वामिका नाम, तुम्हारेमाने हुए बत्तीस सूत्रमेंसे कौनसे सूत्रमें है ?।
६४ तुम्हारे साधु, स्याही-कलम-कागज पासमें रखते हैं, यह किस सूत्रकी आज्ञा है ?।
६५ तुम्हारे साधु, तीन २ पात्र रखते हैं, यह किस सूत्रकी आज्ञा है ?।
६६ तुम्हारे साधु, गृहस्थका बुलाना आनेसे फोरन पात्र उठाकरके जाते हैं और आहार ले आते हैं, यह किस सूत्रकी आज्ञा है ।
६७ तुम्हारे साधु, अपने पास बैठ करके सामायक कर नेकी बाधा देते हैं, यह किस सूत्रमें कहा है ? ।
६८ तुम्हारे मतके उत्पादक भीखुनजी किस गण-कुल संघ (गच्छ) में हुए हैं, यह प्रमाणके साथ दिखलाओ।
६९ भगवानको चूके कहते हो, वह अपने आपसे कहते हो या किसी सूत्रके आधारसे कहते हो?।।
७० तुम्हारे साधु, स्त्री-पुरुषके इत्यादि अनेक प्रकारके चित्र रंगी-बिरंगी अपने हाथोंसे लिख करके पानासे पुंठा भरते हैं, यह किस सूत्रकी आज्ञा है ? ।
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