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घेताम्बर तेरापंथ मत समीक्षा । ७९ 物的分分合合分食分仓分的代价修分会 - 代代
अचे, अंचेइना दाहिणजाणुं धरणितलंसि निहाडे"
___ उपर्युक्त पाठमें, 'पहिले काव्य कह करके सात-आठ कदम जिनप्रतिमासे पीछे हठ करके, डाबा गोडा ऊंचा करके तथा जीमणा धरणीतलमें स्थापन रकके बहुमानके साथ शक्रस्तव कह करके बंदणा करे, इत्यादि कहा है।
उसी तरह वर्तमानकालमें भी मुनिराज, मधुर-सुंदरनये नये वृत्तवाले काव्य प्रभुके सामने कह करके चैत्यवंदन करते हैं । इस लिये याद रखना चाहिये कि-साधुओंका अधिकार भक्ति करनेका है । द्रव्यपूजा करनेका नहीं।
इसके सिवाय और भी बहुतसे ऐसे कार्य होते हैं कि-जो धर्मके होनेपर भी साधु करते नहीं हैं। क्यों कि वह उनका अधिकार नहीं है।
देखिये, साधु सूत्रानुसार दानधर्मका उपदेश देते हैं। किन्तु दान देते नहीं हैं । क्यों कि-उस प्रकारके अशनादिकी सामग्री उनके पास नहीं होती। ढाई द्वीपमें जितने मुनिवर हैं, वे समस्त वंदनीय हैं । तथापि शिष्योंको तथा लघु गुरुभाईओको एवं दूसरे छोटे साधुओंको बंदणा करते नहीं हैं । क्यों कि-व्यवहारसे वैसा अधिकार नहीं है। जहाँ जहाँ जैसा अधिकार होता है, वहाँ वहाँ वैसा ही कार्य करना उचित है।
प्रिय पाठक । तेरापंथीओंके पूछे हुए तेइस प्रश्नोंके उत्तर समाप्त हुए । उनके पूछे हुए प्रश्न कैसे अशुद्र तथा नि.
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