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श्वेताम्बर तेरापंथ-मत समीक्षा |
र्माल्य थे, पाठक अच्छि तरह देख गये हैं । अस्तु ! जब हम तेरापंथीयों के अभिनिवेश की तरफ ख्याल करते हैं, तब हमें यही विश्वास होता है कि इतना परीश्रम करनेपर भी उन लोगोंको कुछ भी लाभ होनेवाला नहीं है । और यदि हो जाय तो बडे सौभाग्य की बात है । खैर, ऊनको लाभ हो चाहे न हो, परन्तु इतर लोगों को इससे अवश्य लाभ पहुँचा होगा और पहुँचेगा, यह हमे दृढ विश्वास है । बस, इसीमें हम अपने परीश्रमकी सफलता मानते हैं ।
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