________________
*
**
*
*
*
*
*
३२ श्वेताम्बर तेरापंथ-मत समीक्षा। * करके आज्ञा तथा धर्म दिखलाया, तो ' प्रतिमा पूजा' में आज्ञा और धर्म स्वतः सिद्ध हुआ । क्यों कि 'प्रतिमाकी तरह ऐसा कह करके प्रतिमाका तो खास दृष्टान्त ही दिया है।
इसके सिवाय देखिये । महाकल्पसूत्र, जिसका नाम नंदीसूत्रके ४०९ वे पृष्टमें "उक्कालिअ अणेगाविहं पन्नत्तं तंजहा-दसवेकालिभं कप्पियाकाप्पियं चुल्लुकप्पसुयं महाकप्पसुयं उववाइयं रायपसेणियं........" इत्यादे पाठमें है, उसमें इस तरहका पाठ है"तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव तुगिनाए नयरीए बहवे समणोवासमा परिसति संखे सयए सि. लप्पवाले रिसिदत्ते दमगे पुख्खली निविद्धे सुप्पश्छे नाणुदत्ते सोमिले नरवम्मे आणंदे कामदेवा इणो अजे अन्नत्थ गामे परिवसंति अड्डा दित्ता विस्थिण्णविपुलवाहणा जाव उट्ठा गहिअहा चानदसम्मुदिपुरिणमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं पालेमाणा निग्गंथाणं निगंधीणं फासुएसणिजेणं असणं पाणं खाश्मं साइमं पमिलानेमाणा चेइआलाएसु तिसंझासमए चंदणपुष्कधूववत्थाई हिं अच्चणं कुणमाणा जाव जिणहरे विहरति। से केपट्टेणं ? । गोयमा ! जो जिणपमिमं पूण सो नरो सम्मदिष्टी जाणिअब्चो
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com