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श्वेताम्बर तेरापंथ - मत समीक्षा |
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उन लोगों के पूछे हुए तेईस प्रश्न तथा उनके उत्तर प्रकाशित
करता हूँ ।
तेरापंथिओंके तेईस प्रश्नोंके उत्तर.
परम पूज्य, प्रातःस्मरणीय, गुरु महाराज शास्त्रविशारदजैनाचार्य श्रीविजयधर्मसूरीश्वरजी महाराज तथा उपाध्यायजी महाराज श्री इन्द्रविजयजीके साथ, पाली - मारवाडमें तेरापंथी श्रावकों की मूर्तिपूजा वगैरह विषयोंमें, चार दिन तक जो चर्चा
उसका वृत्तान्त पाठक ऊपर पढ़ चुके हैं। अब उनके, उन तेईस प्रश्नोंके उत्तर प्रकाशित किये जाते हैं, जिन ग्रनका एक लंबा चीट्ठा उन लोगोंने ता. २८ -४ -१४ वैशाख सुद ३ के दिन, आचार्य महाराजको दिया था। जिस समय ये प्रश्न दिये थे, उसी समय सबके समक्ष यह बात निश्चय हुई थी कि -आचार्य महाराज की तरफ से इन प्रश्नों के उत्तर अखबार के द्वारा मिलेंगे । बस, निश्चय होनेके मुताबिक, आचार्य महाराजकी तरफसे, उन प्रश्नों के उत्तर भावनगर के 'जैनशासन' नामक पत्र में दिये गये थे । अब इस पुस्तकमें शामिल किये जाते हैं ।
तेरापंथी श्रावकोंने तेईस प्रश्नोंके उत्तर उनके माने हुए बत्तीस सूत्रों के मूल पाठसे मांगे हैं । परन्तु बत्तीस ही मानना, पैंतालीस या नियुक्ति टीका इत्यादि न मानना, इसका क्या कारण है ? ? इस विषय पर, यहाँ कुछ परामर्श करना समुचित समझते हैं ।
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बत्तीस सूत्र मानने वाले महानुभाव यदि यह कहें कि - हम इस लिये बत्तीस ही सूत्र मानते हैं कि वे गणधर देवके
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