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मान्यखेट (दक्षिण) के राष्ट्रकूट
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गंगवंशी राजा शिवमार का पुत्र पृथ्वीपति प्रथम भी अमोघवर्ष का समकालीन थी
'कविराजमार्ग' नामकी, कानाड़ी भाषा में लिखी, अलङ्कार की पुस्तक भी अमोघवर्ष की बनायी मानी जाती है।
१२ कृष्णराज द्वितीय
यह अमोघवर्ष का पुत्र था, और उसके जीतेजी ही राज्य का अधिकारी बनादिया गया था ।
इसके समय के चार लेख, और दो ताम्रपत्र मिले हैं।
इनमें का पहला ताम्रपेत्र बगुम्रा ( बड़ोदाराज्य ) से मिला है । यह श. सं. ८१० (वि.सं. १४५ ई. स. ८) का है। इसमें गुजरात के महासामन्ताधिपति अकालवर्ष कृष्णराज के दिये दान का उल्लेख है । परन्तु ऐतिहासिक इसे प्रामाणिक मानते हैं ।
इसके समय का पहला, नंदवाडिगे ( बीजापुर ) से मिला, लेख श. सं. ८२२ (वि. सं. १५७ = ई. स. १०० ) का है । परन्तु वास्तव में उसका संवत् श. सं. ८२४ (वि. सं. १५९ = ई. स. १०३ ) मानाजाता है । दूसरों, इसी संवत् (श. सं. =२२ ) का, लेख अरदेशहल्ली से मिला है ।
तीसरा, मुलगुण्ड ( धारवाड़ जिले ) से मिला, लेख श. सं. ८२४ (वि. सं. १५१ = ई. स. १०३ ) का है।
इसके समय का दूसरा ताम्रपत्र श. सं. ८३२ (वि. सं २६७ = ई. स. ९१० ) का है । यह कपडवंज ( खेडाज़िले ) से मिला है । इस में कृष्ण
(१) सी० माबैलडफ् की कॉनॉलॉजी ऑफ इण्डिया,
( २ ) इण्डियन ऐग्रिटक्केरी, भाग १३, पृ. ६५-६६
( ३ ) ऐपिग्राफिया कर्नाटिका, भा० पृ० 8८; इण्डियन ऐण्टिकेरी, भा. १२, पृ० २२१
पृ० ७३
( ४ ) इण्डियन ऐग्रिटक्केरी, भा० १२, पृ. २२० ।
( ५ ) ऐपिग्राफिया कर्नाटिका, भा० &, नं० ४२, १०६८
(६) जर्नल बाम्बे ब्राँच रॉयल एशियाटिक सोसाइटी, भा० १०, पृ० १६०
( ७ ) ऐपिग्राफिया इण्डिका, भा० १, पृ० ५३
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