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राष्ट्रकूटों का इतिहास पथारी ( भोपाल राज्य ) से, वि० सं० ११७ ( ई० स० ८६० ) का एक लेखै मिला है। इसमें मध्यभारत के राष्ट्रकूट-राजाओं की वंशावली इस प्रकार लिखी है:
१ जेजट
२ कर्कराज
३ परबल (वि० सं० ११७) परबल की कन्या, रगणादेवी का विवाह गौड़ ( बंगाल ) के पाल वंशी राजा धर्मपाल से हुआ था, और परबल के पिता कर्कराज ने नागभट ( नागावलोक) को हराया था । सम्भवतः यह नागभट ( नागावलोक) प्रतिहार वंशी राजा वत्सराज का पुत्र होगा । इस नागभट द्वितीय का एक लेख मारवाड़ राज्य के बुचकला गांव ( बिलाड़ा परगने ) से मिला है । यह वि० सं० ८७२ ( ई० स० ८१५ ) को है । परन्तु प्रोफेसर कीलहान इसे भृगुकच्छ से मिले, वि० सं० ८१३ (ई० स० ७५६ ) के ताम्रपत्र का नागावलोक अनुमान करते हैं।
बुद्धगया से राष्ट्रकूट राजाओं का एक लेखें मिला है । उसमें इनकी वंशावली इस प्रकार दी है:
नन्न (गुणावलोक) कीर्तिराज
तुङ्ग (धर्मावलोक)
(१) ऐपिग्राफिया इण्डिका, भाग ६, पृ० २४८ । (२) भारत के प्राचीन राजवंश, भाग १, पृ. १८५ (३) ऐपिग्राफिया इण्डिका, भा• ६, पृ. ११८ (४) यह नागावलोक शायद प्रतिहारवंशी नागभट प्रथम था. (५) बुद्धगया ( राजेन्द्रखाव मित्र लिखित ), पृ. ११५.
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