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अन्य आक्षेप
इस अध्याय में राष्ट्रकूटों और गाहड़वालों की एकता पर की गई अन्य शङ्काओं पर विचार किया जायगा ।
बहुत से प्राच्य और पाश्चात्य ऐतिहासिक दक्षिण के राष्ट्रकूटों और कन्नौज के गाहड़वालों को एक वंश का मानने में संकोच करते हैं, और अपने मत की पुष्टि में आगे लिखे कारण उपस्थित करते हैं:
१-राष्ट्रकूटों के लेखों में उनको चन्द्रवंशी लिखा है; पन्तु गाहड़वाल अपने ___ को सूर्यवंशी लिखते हैं। २-राष्ट्रकूटों का गोत्र गौतम, और गाहड़वालों का काश्यप है। ३-गाहड़वालों की प्रशस्तियों में उनको राष्ट्रकूट न लिखकर गाहड़वाल..
ही लिखा है। ४-राष्ट्रकूटों और गाहड़वालों के बीच विवाह सम्बन्ध होते हैं । ५-अन्य क्षत्रिय गाहड़बालों को उच्च वंश का नहीं मानते ।
आगे इन पर क्रमशः विचार किया जाता है:१-'राष्ट्रकूटों का वंश' शीर्षक अध्याय में इनके वंश के विषय में विचार किया जा चुका है। परन्तु उन प्रमाणों को छोड़ कर यदि साधारण तौर से विचार किया जाय, तो भी ऐतिहासिकों के लिए यह सूर्य, चन्द्र, और अग्निवंश का झगड़ा पौराणिक कल्पना मात्र ही है; क्योंकि एक ही वंश के राजाओं के लेखों में, किसी में उनको सूर्यवंशी, किसी में चंद्रवंशी, और किसी में अग्निवंशी लिख दिया है। आगे इस प्रकार के कुछ उदाहरण उद्धृत किये जाते हैं:___उदयपुर के वीर-शिरोमणि महाराणाओं का वंश, भारत में, सूर्यवंश के नाम से प्रसिद्ध है । परन्तु वि० सं० १३३१ (ई० सं० १२७४ ) के, चित्तौड़गढ़ से मिले, एक लेख में लिखा है:
"जीयादानन्दपूर्व तदिह पुरमिलाखंडसौन्दर्यशोभिक्षोणी प्र (पू) ष्ठस्थमेव त्रिदशपुरमधः कुर्वदुः समृदया।
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