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लाट (गुजरात) के राष्ट्रकूट गुजरात के महासामन्ताधिपति धुबराज प्रथम का, श. सं. ७५७ (वि. सं. ८१२=ई. स. ८३५ ) का, एक ताम्रपत्रं मिला है । उसमें लिखा है कि, इस कर्कराज ने, बागी हुए राष्ट्रकूटों को हराकर ( वि. सं. ८७२ ई. स. ८१५ के करीब ), मान्यखेट के राजा अमोघवर्ष प्रथम को उसके पिता की गद्दी पर बिठाया था। ___ इससे अनुमान होता है कि, गोविन्दराज तृतीय की मृत्यु के समय अमोघमर्ष प्रथम बालक था, और इसी से मौका पाकर उसके राष्ट्रकूट सामन्तों ने, और सोलकियों ने उसके राज्य को छीन लेने की कोशिश की थी । परन्तु कर्कराज के कारण उनकी इच्छा पूर्ण न होसकी । इसके पुत्र का नाम ध्रुवराज था।
३ गोविन्दराज यह इन्द्रराज का पुत्र, और कर्कराज का छोटा भाई था। इसके समय के दो ताम्रपत्र मिले हैं । इनमें का पहला श. सं. ७३५ ( वि. सं. ८६९ ई. स. ८१२) का, और दूसरा श. सं ७४६ (वि. सं. ८८४ ई. स. ८२७) का है । पहले ताम्रपत्र में इसके महासामन्त शलुकिक वंशी बुद्धवर्ष का उल्लेख है, और गोविन्दराज की नीचे लिखी उपाधियाँ दी हैं:
महासामन्ताधिपति, और प्रभूतवर्ष ।
दूसरे ताम्रपत्र से ज्ञात होता है कि, जिस समय यह राजा भडोच में था, उस समय इसने जयादित्य नामक सूर्य के मन्दिर के लिए एक गांव दान दिया था।
(१) इण्डियन ऐगिटक्वेरी, भाग १४, पृ० १६६ (२) ऐपिग्राफिया इण्डिका, भाग ३, पृ. ५४ (३) इण्डियन ऐगिटक्केरी, भाग ५, पृ. १४५
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