________________
अभिनन्दन पत्र प्रशापुरुष कान्ति गुरुवरजी वरदहस्त है सुखकारी महासंघ के कीर्तिस्तंभ भंवरजी बोहरा संस्कारी २६३ जिन शासन कृत सेवा महान, अमूल्य सदा अनुकरणीय समाजरत्न कर अर्णित है प्रशस्तिपत्र यह संस्तवनीय २६४ हे दानवीर ! दिलदरिया में विस्तृत महासंघ समाया है तन मन धन सब कुछ अर्पित कर जैन धर्मकी शान बढाया है २६५ महासंघपति पद भूषित हुए उपधान पतिजी हमारे मरुधर भूमि बाडमेर क्षेत्र के तुम उज्ज्वल नक्षत्र प्यारे २६६ गुरुभक्त प्रवर तव श्रद्धा केन्द्र है युगप्रधान गुरुदेवा खरतरगच्छ सरताज कान्तिसागरजी पदरज सेवा २६७ श्रद्धा सुमन सुवासित हृदयवाटिका की दर्शन छटा आस्था रुप प्रगाढ रंग गुरु कृपा दृष्टि की छाई घटा २६८ भक्तितार झंकृत है स्वतः और मनमयूर भी नाच उठा अश्रुवारि सिंचित भंवरबाग दृश्य कान्ति अनूठा २६९ भाव समर्पण है सराहनीय शब्दमणि गुरुवर अनमोल देव गुरु धर्म सेवा में द्रव्य खर्च किया दिल खोल २७० हरि बिहार निर्माण कार्य में आर्थिक योग दिया भारी नाकोड़ातीर्थ अभूतपूर्व उपधान कराया दो वारी २७१ व्यक्तित्व प्रखर कर्तृत्व सफल, भारत गौरव को बढाये विदेशो में स्थान मिला उद्योग प्रसिद्ध पाये २७२ धार्मिक सामाजिक व्यवहारिक बिभिन्न क्षेत्रो को संभाले श्री प्रसन्नता स्वउदारता से सबको खुश कर डाले २७३
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com