________________ 81 / 30 / 46 नग्नराविदन 15 / 18 / 30 46 इदं सतममा दिनाईतुन्यम् / अतः सषडभलग्नस भोग्याशस्तदुदयो गणिनखिंगता भक्तो जानो भोग्य कानः 85 / 46 / 34 अयं खानराविदम्पजेन्यः 81830 // 46 शोधितः 832 / 44 / 12 अत्रतुलावृषिकयोसोढयमाने गोधित शेषं पूर्वसाधितदभमास्यलग्नभोग्यपनतुल्यमेव 255 / 44 / 12 अस्मासिहं तदेव बग्नम् / / 2 / 54 / 8 अत्र लोदयाः मे.=२७८=मी. / वृ.=२९९=कुं. मि.= 323 क.। अथ रावाविष्टकालज्ञानार्थ कस्यचित्पद्यम् // सरणेोममध्यस्था ऋक्षसंखा नगोनिता // नखना नव भिर्भका गता राधिः स्फुटा भवेत् // 6 // साम्बत्मरप्रवरचण्ड सुचण्डजाः / पश्यन्त मत्कृतनयं विनयान्वितोऽहम् / प्रत्यर्थ ये चतुरचारुसचित्तवृत्ति प्रोल्लासकारकम सफलः श्रमो मे / इति प्रभम् // Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com