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________________ ८७ द्वादश्यामष्टम्यां कार्तिकशुक्लस्य पंचदश्यां वा । आश्वयुजे वाकुर्यान्नीराजन संज्ञितां शान्तिमिति ॥ अर्थ-मेघ छे पांपण जेनी अने चंद्र सूर्य छे नेत्र जेना एवा कमलनाभि भगवान् ज्यारे जाग्रत थाय छे, त्यारे अश्व-गज - मनुष्य एओनी नीरांजन विधि करवी. कार्तिक शुक्लपक्षमां द्वादशीअष्टमी – पूर्णिमा ए तिथिमां अथवा आश्विन शुक्ल पक्षनी १२ -८-१५ मां नीराजन संज्ञक शांती करवी. ॥ आ विधिनो एक अध्याय छे. वास्ते आ जग्याए लख्यो नथी. ॥ हवे मद्य, मांसादिना प्रतिनिधि शाक्त मतना ग्रन्थोमां शुं शुं लीधुं छे ते दर्शाव्युं छे. राजस तामस वृत्ति वालो ब्राह्मण राजसीक तामसीक कर्म करवा तैयार थयो होय तो तेने मांसनी जग्याए-मीठा शवालो दुधपाक तथा सुरानी जग्याए मीठाशवालुं दुध एम शान्ति मयूखमां कह्युं छे. ए शिवाय, बीजा ग्रंथोमां लीला प्रमाण उक्तं च कौलधर्मरहस्ये लवणाद्रककल्याणि गोधूमतिलमाषकम् । शुनं तु महादेवि मांस प्रतिनिधिः स्मृतः ॥ अर्ध-मीठं, आदु, घहु, तल, अडद, लशण, ए मांसना प्रतिनिधि गणाय छे. उक्तं च कालिका पुराणे कूष्माडमिक्षुदंडं च, मांसं सारसमेव च । एते बलि समाः प्रोक्ता, स्तृप्तौछागसमाः सदा ॥ अर्थ - भूरुंको, शेरडी, सारसनुं मांस, ए बलिदान बकराना बरोबर गण्णुं छे. उक्तं च रुद्रयामले— ब्राह्मणेन सदादेयं कूष्माडं बलिकर्माणि ॥ श्रीफलं वासुराधीश छेदं नैवतु कारयेत् ॥ अर्थ - रुद्र विष्णु प्रत्येकछे के - ब्राह्मणे बलिदान विषयमां भूरुं कोलुं लेवुं अथवा बीलु लेवं पण तेनो छेद करवो नहीं. अथवा छेद करवो होय तो राजस तामस गुणाश्रयी क्षत्रीयादिओने प्रत्यक्ष कर. ७ प्रश्ननो उत्तर. शाक्तमतना ग्रन्थने अनुसरी चालनार उपासक जो क्षत्रिय होय तो तेने प्रत्यक्ष वध करवानो कह्यो छे. त्यां छेको मारी छोडी देवानो विधि जणातो नथी. ज्यां सुधी जे ग्रन्थने अनुसरी चलाय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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