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________________ ८६ तृष्णास्रोतो विभंगो गुरुषु च विनयः सर्वभूतानुकम्पा सामान्यःसर्वशास्त्रेष्वनुपहतविधिः श्रेयसा मेष पन्थाः ॥ १ ॥ अर्थ -- प्राणीओना घातथी निवृत्त थवं, परधन हरणथी नियममां रहेवुं, सत्य बोलकं, शक्तिना अनुसारे दान आपवु, पारकी स्त्रीओनी वातथी मुंगा रहेवुं, आशा तृष्णा छोडी देवी, गुरुने विषे नम्रपणुं राखवुं; सत्रला प्राणीओने विषे दया राखवी; ए सघला शास्त्रनो सामान्य विधि छे. अने कल्याणकारी एज मार्ग छे. आ शिवाय पशु हिंसाना निषेधार्थे सर्वमान्य अने सत्य शास्त्रमां अनेक प्रमाणो छे. पण विस्तारना भयथी विशेष प्रमाणो आप्यां नथी. ४ प्रश्ननो उत्तर. जे राजा शाक्तमतना अनुयाथी होय अने ते संप्रदायनी परनालिका प्रमाणे दीक्षा लीधी होय तो तेने हिंसादि कर्म उचित छे. अन्यथा बीजाने कांइ विधिनिषेध नथी. ए शाक्तादिक शास्त्रमां यज्ञ शिवाय हिंसानो विधि नीकलतोज नथी. तो आज्ञानुं उल्लंघन थवाने कांइ हेतु उपस्थित थी. ५ प्रश्ननो उत्तर. आ प्रश्ननो उत्तर चोथा प्रश्नना उत्तरमां समावेश थाय छे. तथापि दर्शान्युं छे के राजा तथा प्रजाना सुखनुं कारण कांइ केवल हिंसा नथी. पण सत्य अने सर्व मान्य शास्त्रमां बतावेली विधि क्रिया अने शुभाचरण एणे करी राजा प्रजानो अभ्युदय थाय छे. आ सर्वोपरी सिद्धान्त छे. वास्ते मनुस्मृतिमां कहेलुं छे के, पाखंडिनो विकर्मस्थान, बैडालव्रतिकान् शठान् । हैतुकान् बकवृतिंश्च वाङमात्रेणापि नार्चयेत् ॥ अर्थ-पाखंङ धर्मी (जेवाके - शाक्त - कापालिक इत्यादि ) नठारा कर्म करनारा; दम्भि वृत्तिवाला, लोभीभा; बकवृतिवाला; एवाओनुं वाणी मात्रे करीने पण अर्चन कर नहीं. ६ प्रश्ननो उत्तर. शाक्त मत शिवाय, बलवान् शास्त्रोमां राजाओंने अर्थे शरदऋतुमां हिंसा रहित नीराजन विधि अवश्य करवा आज्ञा करी छे के जे विधिना योगे सेना सहित राजाप्रजादिकनुं कल्याण थाय छे. प्राचीन कालमा थइ गयेला विक्रमादित्यना वखतमां वराहमिहिर नामना पंडिते पोतानी रचेली वाराही संहितामां ए नीराजन विधि लखी छे. बृ. सं. अध्याय ४४ भगवतिजलधरपक्ष्म क्षपाकरा कैक्षणेकमलनाभौ । उन्मीलयति तुरंगम करिजननीराजनं कुर्यात् ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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