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________________ ৩৭ करवामां आवे छे ते शास्त्रप्रमाण नथी. तेमन ज्ञान द्रष्टीए जोतां अने तत्वज्ञाननी फिलसुफीना शास्त्रो जोतांजणाय छे के सर्व प्राणीओ साथे आत्मवध एटले जीवहिंसा निषेध छे. एवी घातकी रूढी ज्ञानना प्रसार आगळ दूर थवी हरकोइ मनुष्य प्राणी उत्तम मानशे. आ सर्वे उपरथी पूछेला प्रश्नोना टुंकामां उत्तर ए छे के: १-देवी मतना रुद्रयामळना उत्तर खंडमां देवीचरीत्रना विधानमां लख्यु छे के सर्व ऋतुना नवरात्रीना अंगे क्रिया प्रमाणे पूजा करी बलीदान आपवू पण उपर कह्या प्रमाणे दशराके बलेवना दिवसोंर्नु छ ज नहीं. २-ए सर्वे देवी मतना ग्रन्थो आर्य लोकोमा सर्व मान्य गणाता नथी. मात्र देवीमतमान्य छे, ते प्रमाणे पूजनथी अथवा पूजन शिवाय जे हिंसा करवी ते हिंसा रूपज गणाय. ३-कारणके ते शास्त्र करतां उपर देखाडेल धर्म शास्त्रो वधारे बलवान् छे. वली धर्मशास्त्रमा कहेलुं छे ते नीचे श्लोक छे. अहिंसा सत्यमस्तेयं शौचमिंद्रियनिग्रहः। दानं दया दमः शान्तिः सर्वेषां धर्मसाधनम् ॥ अहिंसा (प्राणीने न हणवां ते), सत्य, अस्तेय (चोरी न करवी), शौच, इंद्रियनिग्रह, दान, तथा शांति ए तमाम सर्व धर्मनां साधन छे. तो आ श्लोक उपरथी हिंसा न करवी तेम सिद्ध थाय छे. ४ राजाओने जीव हिंसानुं कर्तव्य अवश्य छेज एवं कोइ पण शास्त्रमा प्रमाण नथी. तेम न करवाने लीधे कोइ शास्त्रनी आज्ञा तोडी गणाय नहीं. ५-उपर प्रमाणे कोइ बलवान् शास्त्रनी आज्ञा जीव हिंसाने माटे नथी अने निषेध करेल छे. तो तेन करवाने अंगे कोइ प्रकारनो आपत्तीयोग होयज नहीं, पण जीव हिंसा न करवाथी पुण्य मनाएटुं छे जेथी पुण्यने लीधे आपत्तीयोग बीजा कोइ सबबने लीधे होय तो ते दूरज थाय. ६-कोइ बलवान् शास्त्रनी आज्ञा जीव हिंसा नहीं करवाथी तोडेली गणाती नथी, पण दशराने दिवसे जे क्रिया करवानी छे ते पण हिंसा रहितनी छे, अने ते उपर देखाडेल देवीमतना रुद्रयामलना उत्तरखंडे देवी चरित्रमा बताव्युं छे. ७-जवाबमां एटलुंज लखवानुं के ते दिवसनी विधीमां भोग आपवानो नथी त्यारे ते माटे वधारे लखवानुं नथी. अमारी पासे हिंसा न करवी एवां घणां वचनो छे, तेमां आपने केटलाक उपर लखी जणान्या छे. तथापि कोइ प्रसंगे वैदिक तथा देव पूजनादिक क्रियाओमां बलीदान अर्थेज ने हिंसा करवामां आवे छे तेवा बहु वचनो बताववा करतां उभय मतथी संशय दूर करवो ए वधारे उचित छे. एम धारी टुंकामां सशास्त्र प्रमाणे मतनो खोटो वहेम दूर करवो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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