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५ पांचमा प्रश्नना उत्तरमा लखवान के हिंसानी प्रवृति न करवाथी राज्य तथा प्रनामां आपत्तिओ आवे अथवा अकार्य कर्यु कहेवाय तेवु कोइ बळवान् शास्त्रमा जोवामां आव्युं नथी.
६ छठ्ठा प्रश्नना उत्तरमा लखवानु के-कदापि सकामीपणाथी के रूढीना बलथी तेवू हिंसा कर्म कर, होय तो तेने बदले पिष्ठपशु अथवा कूष्मांड (कोढुं )नो बलि विगेरे कर्याथी तेवी क्रियानो भंग थतो नथी अने ते क्रिया संपूर्ण गणाय छे तेने माटे निर्णयसिंधुमां" आ प्रमाणे श्लोक छे.
कूष्मांड मिक्षुदंडं च मांस सारस मेव च ॥
एते बलिसमाः प्रोक्ता स्तृप्तौ छाग समाः सदा ॥ १ ॥ अर्थ-कूष्मांड ( कोलुं) शेरडी, सारसपक्षीनु मांस ए पशुबलिना जेवा गणाय छे अने तेथी बकराना जेवी देवताने तृप्ति थाय छे. रुद्रयामल नामना ग्रंथमां पण का छे के
छागाभावेतु कूष्मांडं श्रीफलं वा मनोहरम् ॥
वस्त्रसंवेष्टितंकृत्वा छेदयेत् च्छुरिकादिना ॥ २ ॥ अर्थ-जो पशुनो अभाव होय तो कूष्मांड अथवा सुंदर एवा श्रीफलने वस्त्रथी वीटीने छरी विगेरे शस्त्रथी छेदन करवू. ॥ २ ॥ आवो विधि पण ते ग्रंथोमां लखेलो छे.-धर्मसिन्धुमा पशुवध करवाने माटे कयुं छे. पण जो राजा सकाम होय तो करे पण बीजाने करवानी जरुर नथी, एवं सूचवे छे अने ते उपरथी एम सिद्धान्त थाय छे के सर्व कर्मों पशुवध विना पुरोडाशादिकथी संपादन करवा अने तेम करवामां आपणा सर्वप्रमाण शिरोमणिरूप श्रुति ग्रन्थोनो उत्तम तात्पर्य पराकाष्टाने पहोंचे छे. __ ७ सातमा प्रश्नना उत्तरमा लखवानुं के पशुना कान के नाक कापीने छुटो मुकतां ते क्रिया पूर्ण थइ कहेवाय तेवु कोइ आर्यग्रंथमां जोवामां आव्यु नथी. ___ आवी रीते आपना सात प्रश्ननो खुलाशो अमारा तरफथी आपनी तरफ मोकल्यो छे. तेनी साथे एकंदर अमारो अभिप्राय एवो छे के आर्यशास्त्रना कोइ पण ग्रंथमां केवल निन्दितकर्म करवानो विधि लखेलोज नथी. कदापि लखेलो होय तो ते तांत्रमत प्रमाणे पूर्वापर विरोध करनारा तेनां वचनो परस्पर गौणता करवामां तत्पर थाय छे. पण छेवटे आपणा आर्यधर्मनो अहिंसात्मक सिद्धान्त बलवत्तर थाय छे अने ते प्रवृत्ति मार्गनो शुद्ध उपदेश करी निवृत्तिमार्गमा दोरी जवाने प्रयत्न करे छे. एज आपणो सनातन मार्ग सर्वमां प्रमाणभूत छे. सर्वने मान्य छे अने अति आदरवा योग्य छे. हुं आशा राखं छु के आवा हिंसात्मक मार्गनी क्रिया दूर करी आर्योना उत्तम मार्गर्नु अवलंबन करीने आपणा दयालु महाराजा आवा उत्तम सन्मार्गनुं ग्रहण करशे एन. तथास्तु॥
शास्त्री भानुशंकर हरिशंकर सही. भावनगर दरबारी पाठशाळाना मुख्यगुरु.
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