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नं. १३
ॐ परमात्मने नमः
श्रीयुत, स्वधर्मनिष्ठ, राज्यमान्य राजेश्री प्राणजीवनदास जगजीवनदास महेता.
चीफ मेडिकल ओफीसर.
स्वस्थान धर्मपुर.
विशेष लखवानुं के गइ ता. ११-९-९४ ने रोज आपना तरफथी मुद्रांकित करेली सात प्रश्ननी पत्रिका अमारी तरफ आवी छे. तेमां लखेली बिना अमारा जाणवामां आवी छे. आ संबन्धमां आपना महाराजा श्रीमोहनदेवजीना पवित्र अने स्तुत्य विचारने अमे धन्यवाद आपीए छी. केटलाएक धर्मना नामथी चालता अपवित्र रीवाजो के जे आपणा प्राचीन आर्यधर्मने कलंकित करे छे. तेना संबन्धमां आपना धर्मिष्ट महाराजाए एक स्तुत्य पगलुं भर्यु छे एम निःशंक कही शकाय छे. जेवी रीते महाराजाना पवित्र विचार तेमनी धार्मिक मनोवृत्तिमां उत्पन्न थयेला छे. तेनी साथे आपना जेवा दयावान् धार्मिक पुरुषे तेमना विचारने पुष्टी करी टेको आप्यो छे ते एक आपनी पवित्र फरज पूर्ण अंशे सफल थइ एम मानीए छीए.
आपना जे सात प्रश्नो आवेला छे; तेओना खुलासा अनुक्रमे जे जे आर्य ग्रंथो जोवामां आव्या छें. तेमांथी वांची तपासीने अमे नीचे प्रमाणे क्रमवार आपीए छीए; ते आप ध्यानमां लेशो.
१ आपना पहेला प्रश्नना जवाबमां लखवानुं के, देवीना बलीदानने माटे पशुहिंसा करवामां आवे छे, ते बाबत भविष्यपुराण, निर्णयामृत, हेमाद्रि, विगेरेमा केटलाएक तांत्रमत ग्रन्थोना प्रमाणो, आपेला छे अने ते बलिदानना अंगमां गणेला छे. ए बलिदानना दरेक उपचारना मंत्रो " विष्णु धर्मोत्तर" नामना ग्रन्थमां आवेला छे. तेओने कालिकापुराण, तथा देवीभागवत, तांत्र पक्षी पुष्ट आपे छे. पण ते एकपक्षी होवाथी सार्वजनिक प्रमाणमां गणाय नहीं.
२ बीजा प्रश्नना जबाबमां लखवानुं के जे ग्रंथोमां पशुनुं बलिदान करवाने लख्युं छे. ते ग्रन्थ तांत्र पक्षी पुष्टि करे छे अने तेना ते ग्रंथो पाछा बीजा पक्षथी तेनो निषेध करवाने पोताना प्रमाणो आपे छे. अथवा तेना बदलामां बीजो विधि बतावी ते पक्ष निर्मूल करे छे. आथी जो के ते ग्रंथो आर्य लोकोमां मान्यतो गणाय. पण हिंसाने माटे तामसी क्रियानुं नाम आपी तेने तिरस्कार करी वर्त्तनारा मोटा बळवत्तर ग्रंथो आगल तेओनी गौणता थइ शके खरी अने तेथी ज तेओने बहुमान्य गणवामां सारा विद्वानोने आंचको खावो पडे छे.
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