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________________ नं. ११ मोरबीवाळा शास्त्री शंकरलाल माहेश्वरनो अभिप्राय. ( प्रथम पत्र ) सौजन्य सुधासागर परम हितैषिवर्य रा. रा. भाईश्री प्राणजीवन जगजीवन मेहेता. श्री मोरबीथी ली. शंकरलाल माहेश्वरना आशीर्वाद वांचशो. तमारो ता ७-९ - ९४नो लखेल पत्र मने पहोंच्यो वांची वीगत जाणी जवाब नीचे मुजब. १ देवीभागवत मार्कंडेय पुराण आदि देवीना पुराणमां कोइ ठेकाणे देवीने के देवने पशुहिंसा करी भोग आपवानुं लख्युं नथी तेमज तंत्र ग्रंथमां पण पशुवध देवी के देवने भोग माटे लखेलो नथी. कढ़ी कौलमत (शक्ति पंथ ) ना पुस्तकमा पशुहिंसा करी भोग आपवानुं लग्न्युं होय तो ईश्वर जाणे ए पंथोना में ग्रंथ जोया नथी. २ कोइ पण मतना ग्रंथोमा लखेलां वचनो सर्व मान्य गणा यज नहीं तेम बहु मान्य पण गणाय नहीं. ३ सर्वमान्य अने प्रमाणरूप शास्त्रमां हिंसानो निषेध करेल छे जे वचनो में अर्थ सहित साना पत्रमा लखेला छे. ४ देव देवी माटे पशुहिंसा अवश्य करवीज जोइए एम राजाओनां अवश्य कृत्योमां जोवामां आवतुं नथी तेम पशुहिंसा न करे तो बलवान् शास्त्रनी आज्ञा तोडी गणाय नहीं केम के बलवान् शास्त्रोए एवी आज्ञा करीज नथी. ५ हिंसामय प्रवृत्ति न करे तो तेथी राजाने कांई आपत्तियोग आवेज नहीं पण राजा अने प्रजानुं कल्याणज थाय अने पशुहिंसा न करवाथी अकार्य कर्यु न गणाय पण उत्तम कार्य कर्यु गणाय; ते विषे वचनो पण साधे लखेलां छे. ६ पशुवधने बदले हिंसा वगरनी क्रिया करीने ते पर्व आराधवामां आवे तो तेथी शास्त्रनी आज्ञानो भंग कर्यो गणाय नहीं. सप्तशतीना पाठो कराववाथी, अनेक प्रकार नां नैवेद्यो करवाथी अने ब्राह्मणोने जमाडवाथी देवीने परम प्रीति थाय छे एवां वचनो घणां छे, ७ प्राणीना नाक के कानने छेको मारवानी कांइ जरुर नथी; कारण के ज्यारे सर्व मान्य शास्त्रोमां देवीने बाले आपवा माटे पशुहिंसा करवी, एवं वचन जोवामां आवतुं नथी त्यारे निरपराधी प्राणीनां नाक के कानने छेको मारीने तेने शुं करवा पीडं जोइए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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