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________________ ४८ उत्तर ७ - आ पर्वमां हिसा करवानुं लखेलुं नथी, त्यां नाककानने छेको माखानुं तो क्यांथी होय ? उपर लखेली बाबत विशे कोइने एवी शंका थाय, के अष्ठमीना बलिदानमां पशु हिंसा लखेली छे तेथी ते शास्त्रसिद्ध गणाय तो तेमां निर्णयसिंधुमां लखेलुं छे के तत्राश्वमेषछागमहिषस्वमांसानामुत्तरोत्तरप्राशस्त्यं फलविशेषश्चान्यतोऽवसेयः ॥ अर्थ - तेमां घोडो, घेटो, बकरूं, पाडो अने पोतानुं मांस एम उत्तरोत्तर विशेष वखाणवा योग्य छे - अने फल पण विशेष छे, एम बीजा ग्रंथोथी जाणी लेवुं. एवा लखाण उपरथी साफ मालम पडे छे के फलनी इच्छावाळानेज ते कर्तव्य छे, तेथी सकाम छे. अने सकाम कर्मने शास्त्रमां निंद्य गणेलुं छे. तेम ते आवश्यक गणातुं नथी, वळी तेमां सर्व पशुना मांस करतां पोतानुं मांस विशेष फल आपनारुं कहेलुं छे, त्यारे फलनी इच्छा वालाए, पोतानुं मांस शा माटे न आप ? अने नाहक न बोली शके तेवा पशुनो घात शामाटे करवा ? तेमज ते लेख पछी कलम छठीमां लख्या प्रमाणे कूष्मांड विगेरे पण आपवानुं लखेलुं छे थी सिद्ध थाय छे के वा बलिदानमां पण पशुनो घात करवा करतां कूष्मांड विगेरेथी क्रिया करवी तेज उत्तम छे. तेमज धर्मसिंधुमां पण लखेलुं छे के ब्राह्मणेन माषादिमिश्रान्नेन कुष्मांडेन वा कार्य यद्वा घृतमयं यवपिष्टादिमयं वा सिंहव्याघ्रनरमेषादिकं कृत्वा खड्गेन घातयेत् ब्राह्मणेन पशुमांसमद्यादिबलिदाने ब्राह्मण्यभ्रष्टता || अर्थ-ब्राह्मणे अडद मिश्रित अन्नथी के कोलाथी बलिदान करवुं अथवा लोटनो सिंह, वाघ, मनुष्य, घेटो, वगेरे करीने खङ्गवडे घात करवो. ब्राह्मणे पशुनुं मांस के मद्यादिनुं बलिदान आपवामां ब्राह्मणपणाथी भ्रष्ट थवाय छे. वली लख्युं छे के सकामेन क्षत्रियादिनां सिंहव्याघनरमहिषछाग सुकर मृगपक्षिमत्सनकुलगोघापिस्वगात्ररुधिरादिमथोबलिर्देयः अर्थ - कामनावाला क्षत्रिय वगेरेए सिंह, वाघ, माणस, पाडो, बकरूं, सूवर, मृग, पक्षि, मत्स, नोलिओ, अने घो, ए प्राणी तथा पोताना शरीरना रुधिरवालुं बलिदान देवं एम लख्युं छे तेमां कामनावालाए बलिदान आपवानुं लख्युं छे, तेथी निष्क्रामने ते बलिदान आपवानुं सिद्ध थतुं नथी, तेम तेनी अंदर जेटलां गणावेला छे तेथी सिंह, व्याघ्र, मनुष्य, विगेरे आगलनां त्रणने अने छेले लखेल पोताना शरीरना रुधिरने छोडी दइने वचमांथी बिचारा पाडा, अने बकराए शो गुन्हो कर्यो के तेनेज लेवां; ने तेवी कामनावाला अने हिंसाना आग्रह वाला होय तेणे सिंह, वाघ, के पोताना शरीरनो बलि शामाटे न आपवो ! पण वाघने पकडवा जाय तो पोतेज बलिदानरूप थई पडे अने पोतानुं मांस के रुधिर आपवुं विषम पडे, माटेज आ न बोले तेवा पशुने पकडावानो रिवाज कोइए पोतानी रुचि प्रमाणे चलाव्यो होय ते कांई मान्य गणाय नहीं. तेम सकाम कर्म करवुं ते राज्यमां कोइने रुशवत ( लांच ) दइने काम कराववा जेवुं छे ते ज्यारे लोकमां सारं गणातुं नथी, त्यारे शास्त्र तो तेने सारुं शी रीते कहे ? ते सारुं श्री भागवतमां पण लखेलुं छे केः श्लोक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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