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________________ ४७ उत्तर-श्रीमद्भगवद्गीता सर्वमान्य शास्त्र गणाय छ जेनी अंदर सोळमा अध्यायमा दैवी अने आसुरी एम बे प्रकारनी संपत्ति लखेली छे. तेमां दैवी संपद्वाळाना धर्ममां अहिंसाधर्म मुख्य गणेलो छे. “ अहिंसा सत्यमक्रोधः" इत्यादि. तेमज श्री भागवतमां तेवा हिंसकने तामस गणेला छे, एज मोटो निषेध छे. ४ प्रश्न-राजाओने ते अवश्य कर्तव्यज छे, अने ते न करवामां आवे तो बलवान् शास्त्रनी आज्ञा तोडी गणाय एवं कोइ स्पष्ट प्रमाण छे के केम ? उत्तर-अवश्य कर्तव्य नथी; तेथी ते बाबत काइ बलवान् शास्त्रनी आज्ञा तोडी गणाती नथी. ५ प्रश्न-ते हिंसानी प्रवृति जो न करवामां आवे तो तेथी राज्यने प्रनाने के राजाना अंगे कोइ पण प्रकारनो आपत्ति योग आवे अथवा अकार्य कयु गणाय एवं कोइ बळवान् शास्त्रमा कहेलुं छे के केम? उत्तर-जे बाबत शास्त्रमा विधि नथी, ते बाबत करवामां न आवे तो तेथी राजाने, राज्यने, के प्रजाने अंगे कोइपण प्रकारनो आपत्तियोग आववानो संबंध नथी, पण उलटुं थती जीवहिंसा बंध . करवाथी धर्मनुं फळ प्राप्त थाय तेम छे. ६ प्रश्न-ते पशुवधने बदले बोनी कोइ हिंसा रहित क्रिया करीने ते पर्व आराधवामां आवे तो तेथी कोइ बलवान् शास्त्रनी आज्ञानो भंग कयों गणाय के केम ? अने तेवी हिंसा रहित शुं शुक्रिया बराबर गणाय ? उत्तर-पशुवध करवां ज्यां काम्य रीते पण लखेलुं छे त्यां पशुने बदले बीनी वस्तुथी आराधना करवानुं लखेलुं छे. जेमके:कालिका पुराणे कूष्मांडमिक्षुदंडं च मांसं सारसमेवच ॥ एते बलिसमाः प्रोक्तास्तृप्तौ छागसमाःसदा ॥ १ ॥ रुद्रयामलेपि छागाभावेतु कूष्मांडं श्रीफलं वा मनोहरम् ॥ वस्त्रसंवेष्टितं कृत्वा छेदयेच्छुरिकादिना ॥१॥ इत्यादिक वाक्यथी कोलं, शेरडी, श्रीफल वगेरेथी पण बकराना जेवी ज तृप्ति तेवा देवने थवा- लख्युं छे. प्रश्न ७-पशुवध करवाने बदले तेनां नाककानने छेको मारीने ते प्राणीने छूटुं मेली देवामां आवे तो क्रिया पूर्ण गणाय के केम ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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