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________________ भक्त लोको मारा मनमां जे प्रीतिने उत्पन्न करे छे, ते प्रीति मारुं आ सुंदर चरित्र ( सप्तशती ) एकवार सांभळवाथी उत्पन्न करी शकाय छे. आ उपरथी सिद्ध थाय छे के जो कदापि अवैदिक मतने अनुसरीए तोपण दशरा जेवां पर्वोमां एक वखत चंडीपाठ सांभळवाथी ज देवी, पशुवधादिक संघली क्रियाओ करतां अधिक अने सर्वोत्तम आराधन करी शकाय छे. ____ खरी वात आवी रीते छे एटला माटे देवीनी के देवनी पासे पशुओने हाजर करीने अंते छोडी मुकवाथी अथवा लोटना पशु बनावी तेओने आपवाथी, अथवा पशुसंबंधी कांइ पण क्रिया नहीं करता, फक्त चंडीपाठ सांभळवाथी पण ते संबंधी क्रिया बराबर थएली गणाय. राजाओने एकवार चंडीपाठनुं श्रवण करवू ते तो शं, पण चंडीपाठ अथवा शतचंडी अथवा सहस्रचंडीनुं पुरश्वरण करावयूँ पण कांइ अशक्य नथी. ७ वेदानुसारी बहुमान्य अने प्रमाणिक बलवत्तर शास्त्रो तपासता नणाय छे के जेम पशुनो वध करवानी जरुर नथी तेम ते बदल बीजी पण कशी क्रिया करवी जरुर नथी. कारण के पापकर्मनो त्याग करवामांन गुण छे. तोपण बीजा ग्रंथोथी चाली आवेली रुढिनो एकदम परित्याग करवामां मनने काइ क्षोभ थतो होय अने ते क्षोभ उपर लखेली पशु विसर्जन पिष्ट पशुवध तथा चंडीपाठ श्रवण एओमांनी कोइ क्रियाथी नहीं मटे एम जणाय तो पछी जेम “यद्घाणभक्षो विहितः सुरायाः" ए भागवतना वचन प्रमाणे "सौत्रामणि" नामना वैदिक यागमा मदिराना पानने बदले मदिराने सुंघवाथी पण यागनी क्रिया बराबर थइ गणाय छे, तेम आ विषयमां पण एज न्यायने अनुसरी पशना वधने बदले तेना नाक कानने छेका दइ छूटा मेली देवाथी पण पशुवधनी क्रियाने बराबर थयेली मानवामां अयोग्यता नथी. एज शिवम संवत् १९६१ ना भादरवा वदि ४ बुधे. शास्त्रि कालीदास गोविंदजी मु. जामनगर. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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