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________________ ३२ माननीय छे, तेवां पुराणो माननीय नथी. देवीपुराण तथा कालिकापुराण - अढार पुराणोनी गणतरीमां न होवाथी तेओने पुराणोनी पंक्तिमा पण दाखल करी शकाय तेम नथी. तो पछी तेओने सर्वमान्य के बहुमान्य शी रीते कही शकाय ? मद्यमांस तथा मैथुन वगेरे विषयोमां लंपट थयेला शाक्त तथा कापिलक वगेरे लोकोए पुराणोना नामथी तथा तंत्रोना नामथी एवा एवा घणा घणा ग्रन्थो उभा करेला छे, अने अमुक प्रामाणिक ग्रन्थोमां पण जूज स्थले नवीन वचनो नांखेला छे, एम प्रौढ विद्वानो घणां घणां कारणोथी माने छे. देवीपुराण विगेरे पुराण नामधारी ग्रन्थोने अने रुद्रयामल वगेरे तंत्र ग्रन्थोने प्रमाणिक विद्वानो अनादरनी दृष्टीथीज जुवे छे. अने तेओमां जे पशुवधादिक कर्मों लखेलां छे, तेओने वेदिक वर्णाश्रम धर्मथी विरुद्ध होवाने लिधे पाखंडरूपज गणे छे. मनुस्मृति ९ मा अध्यायना २२५ श्लोकमां लख्युं छे के-राजाए पाखंडी लोकने शहेरथी बहार काढी मूकवा जोइए. देवीपुराण, कालिकापुराण तथा रुद्रायमल वगेरे ग्रन्थोमां एवा एवा नीचा दुराचारो करवानुं लख्युं छे के जे दुराचारोने आपणां धर्मशास्त्रो प्रबल पापरूप गणे छे. आनो नमुनो जोवो होय तो निर्णयसिन्धुना आश्विन मासना प्रकरणमां लखेलुं कालिकापुराणनुं - भगलिंगाभिधानैश्च भगलिंगप्रगीतकैः भगलिंगक्रियाभिश्च प्रीणयेद्वरचण्डिकाम् ॥ ए वचन जुवो. निर्णयसिन्धुना कर्ताए पोताना समयमां आर्य लोकोना जूदा जूदा वगमां जे क्रियानी रुढीओ चालती हती तथा ते रुढिओनां जे प्रमाणो मानतां हतां तेओने फक्त एकंदर करीने क्रमवार लख्यां छे. तेथी निर्णयसिंधुमां जे कांइ लख्युं छे, ते सघलुं धर्मरूपज छे, एम मानवुं ते विवेकथी विरूद्ध छे. ३ – पुराणोमां के तंत्रग्रन्थोमां वांधो नहीं लेतां कबुल करीए छीए के तेओमां देवी अने देवने वास्ते पशुवध करवानुं जे लख्युं छे, ते मान्य छे तोपण वेदोनुं तथा मनुस्मृति वगेरे धर्मशास्त्रानुं बलवान्पणुं पुराणोथी तथा तंत्रोथी घणुं अधिक छे, ए निर्विवाद छे. अने वेदोमां के धर्मशास्त्रोमां कोइ जग्याए पण नवरात्रि क्रिया करवानुं अथवा ते प्रसंगमां देवीने पशुनो भोग आपवानुं लख्युंज नथी, ए निःसंशय छे, एटलुंज नहीं पण ते बलवान् शास्त्रोए एवी अवैदिक हिंसा करवानो एटले जे हिंसा करवानी वेदे आज्ञा करी नथी तेवी हिंसा करवानो निषेध - " नावेद विहितां हिंसा मापद्यपि समाचरेत्" योऽहिंसकानि भूतानि हिनस्त्यान्म सुखेच्छया सजीवश्चमृतश्चैव न क्वचित् सुखमेधते ॥ १ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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