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________________ नं. ५ शास्त्री कालिदास गोविंदजीनो अभिप्राय. रा. रा. प्राणजीवनदास स्वस्थान धर्मपुर. जामनगरथी लि. हितेच्छु कालिदास गोविंद जीना प्रणाम साथ लखवानुं के आपना महाराज तरफथी अत्र सात प्रश्नोना उत्तर माग्या छे, तो ते उत्तर मारी यथामती नीचे लखुं हुं, तो आप मेहरबानी साथे हजुरमां दाखल करशो. १ बलेवने दिवसे राजाए देवी के देवने पशुनो भोग आपवो एवं वचन कोइ पण ग्रन्थमां जोवामां आवतुं नथी. दशराने दिवसे देवीने पशुनो भोग आपवो तेवो विधि नथी पण मात्र महानवमीने दिवसे आपवानो विद्याभ्यास छे. रूपनारायणीय नामना ग्रन्थमां ब्रह्मपुराणनुं अने हेमाद्रि नामना ग्रन्थमां भविष्यपुराणनुं जे वचन लख्युं छे. ते उपरथी निर्णयसिंधु करनाराए नवमीने दिवसे देवीने वास्ते पशुवध करवानो निर्णय लख्यो छे. पण निर्णयसिन्धु करनाराए जाते ब्रह्मपुराणना के भविष्यपुराणनां असल पुस्तको तपासीने ए वचनो लख्यां नथी एम निर्णयसिन्धु करनाराना पोताना लखवा उपरथीज स्पष्ट मालम पडे छे. निर्णयसिन्धु करनाराए एज प्रकरणमां एटले आश्विनमासना प्रकरणमां देवीपुराणमां तथा रुद्रयामलमां पशुवध विषयक वचनो लखेलां छे के जे वचनो तेणे पोते ते ग्रन्थोमां जोएलां होय एम जणाय छे. ए वचनोमां स्पष्टरीते कहेलुं छे के आश्विन शुदि नवमीने दिवसे देवीने पशुनो भोग आपवो. धर्मसिन्धु करनारो निर्णयसिन्धुने ज अनुसरीने लखे छे. अने तेना लखाणनुं मूल निर्णयसिन्धुनां वचनो छे. माटे ते विशे विवेचन करवानी जरूर जणाती नथी. मूल संस्कृत वचनो जोवां होय तो निर्णयसिन्धुना बीजा परिच्छेदना आश्विनमासनां कर्तव्योना निर्णयमां जोइ लेवां. मार्कंडेय पुराणना आठमां मन्वंतरनी कथा संबन्धी सप्तशती पाठ के जे दुर्गापाठ तरीके जगत्प्रसिद्ध छे, तेनी समाप्ती पछीना वैकृतिक नामना रहस्यमां || रुधिराक्तेन बलिना मांसेन सुरयानृप । प्रणामाचमनीयेन चन्दनेन सुगंधिना । ए श्लोकमां लोहीथी खरडेला बलिथी, मांसधी मदिराधी - प्रणामथी—आचमनथी-अने सुगन्धी चन्दनथी देवीने पूजन करवानुं लख्युं छे. तो ते उपरथी पण देवीने पशुनो भोग आपवानी रूढि चालेली होय एम कही शकाय छे. मार्कडेय पुराणनां असल पुस्तकों जोतां केलीएक प्रतोमां रहस्य प्रकरण जोवामां आवे छे. अने केटलीएक प्रतोमा ए प्रकरण मुद्दल छे नहीं थी शोधक विद्वानोने रहस्य प्रकरणना प्रमाणिकपणा विषे विश्वास आवतो नथी. २– पुराणोनी अपेक्षाथी मनुस्मृति वगेरे धर्मशास्त्रो बलवान् गणाय अने धर्मशास्त्रोनी अपेक्षाथी वेढ़ बळवान् छे ए वाद निर्वीवाद छे. आ उपरथी सिद्ध थाय छे के जेवां वेद अने धर्मशास्त्रो आर्य लोकमां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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