SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९ जीवानां रक्षणं श्रेष्टं जीवाजीवितकांक्षिणः तस्मात्सर्वप्रदानेभ्यो ऽभयदानं विशिष्यते ॥ जीवोनुं रक्षण कर ए श्रेष्ट छे. कारण के सर्व जीवो जीवितनी आकांक्षावाला होय छे माटे सर्वदान करतां जीवोने अभयदान देवं ए श्रेष्ट गणाय छे. एवा उत्कृष्ट दाननुं फल उत्कृष्ट गतिनेज आपे छे. विष्णुपुराणे उक्तं ॥ कपिलानां सहस्राणि योद्विजेभ्यः प्रयच्छति एकस्मायभयं दद्यात् तयोस्तुल्यंफलं स्मृतम् ॥ हजारो कपिला गोदान करनारने तथा एक जीवने अभयदान देनारने समान पुण्य थाय छे. अर्थात् हिंसा परिवर्जनथी अनिष्ट परिणामंनी आशंका ते साकर खाधाथी मोढुं बलवाना भय जेवी छे. अहिंसा नियम पालनारने आपत्तियोग आवे नहीं एटलुंज नहीं पण विशेषमां || सामपश्यन्नात्मयाजी स्वाराज्यमधिगच्छति ।। इत्यादि स्मृति वचनोमां एवा पोतानी पैठे सर्व प्राणीमां समभावथी वर्ती आत्मानुं यजन करनार पुरुषने स्वराज्य सुखनी प्राप्तिरूप उत्तम फल पण दर्शावेल छे. जेथी राजा तथा प्रजा के इतर जातिना माणसना अंगने अनिष्ट प्राप्तिनी शंकाने अवकाश मळतो नथी. अने तेथी हिंसानी प्रवृत्ति करवी एज अकार्य गणाय एवां अनेक शास्त्र वचनो छे- भगवाने पोते कहेल छे केयोमां सर्वगतंज्ञात्वा नचहिंस्यात्कदाचन तस्याहं न प्रणश्यामि सचमेनप्रणस्यति ॥ इति विष्णुपुराणे. हे - राजन् जे मनुष्य सर्व प्राणिमां अंतर्यामि रूपे रहेला मारा स्वरूपने जाणीने कोई पण काले तेनी हिंसा करतो नथी, एने हुं निरन्तर अविनष्टरूपे प्रकाशुं हुं अने ते मने हमेशां अविनष्टरूपे प्रकाशे छे. ६ - उपरना विवेचनथी पशुवधने माटे बळवान शास्त्रोमां विधि नहीं पण उलटो निषेध करेलो छे. एम स्थापित थयुं एटले पशुवध रहित क्रियाओथी आराधना करवामां शास्त्रनी आज्ञानुं भंग कर्यु न गणाय पण ते शास्त्र प्रमाणेज कर्यु कहेवाय. हवे ते क्रियाओ कई ? ए जाणवुं जोइए. लघुस्तवमां वर्ण क्रम प्रमाणे द्रव्य कहेल छे. ॥ विप्राःक्षोणिभुजोविशस्तदितरे क्षीराज्यमध्वासवैः ब्राह्मण दूध देवीने धरावे, क्षत्रिय घी धरावे, वैश्य मध धरावे अने ए त्रण वर्णथीं इतर जे शूद्र ते आसव धरावे. ते प्रमाणे जे व्यवस्था कही तदनुसार - अनुष्ठान करवुं. सप्तशतीना अ० १२ ॥ श्लोकः पशु पुष्पाघधूपैश्च गन्धदीपैस्तथोत्तमैः विप्राणां भोजनैर्होमैः प्रोक्षणयिरैहर्निशं ॥ अन्यैश्च विविधैर्भोगैः प्रदानैर्वत्सरेण या प्रीतिर्मे क्रियते सास्मिन् सकृत्सुचरिते श्रुते ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy