________________
नं. ४
ॐनमः
जामनगरवाळा शास्त्रि हाथीभाई हरिशंकरनो अभिप्राय.
रा. रा. स्नेही बंधुवर्य, मेहेता -प्राणजीवन जगजीवन.
चीफ मेडिकल आफीसर.
मु. धरमपूर.
ली. हितेच्छु - दवे . हाथी भाई वि. हरिशंकरना आशीर्वाद फुरसद वखते मान्य करशो. विशेष लखवानुं के महाराजा मोहन देवजी तरफथी वर्तमान पत्रमां जे सात प्रश्नो पूछाव्या छे तेनो लंबाणना भयथी विशेष अनुवाद नहि करतां मात्र उत्तर ज लखी जणावुं छं.
१ नवरात्रि समाप्ति निमित्तकज देवीनी महापूजा करवामां आवे छे, तेमां पशुहिंसा करवानुं कोइपण आर्य ग्रंथोमां लखेलुं जोवामां आवतुं नथी. शंबर तंत्र, महामाया तंत्र, अष्टयामळ विगेरे चोसठ तंत्र ग्रंथो छे. तेमां वामाचारथी कोइ स्थले कंइ स्थले कंइ लख्यु होय तो होय, भगवत्पूज्यपाद श्री शंकराचार्ये सौंदर्य लहरीना ३१ मा लोकमां कं छे के “चतुःषष्ठी तंत्रैः सकल मतिसंघायभुवनं " तेमां अतिसंधाय पद छे तेनो लक्ष्मीधराचार्ये अर्थ लख्यो छे जे तंत्रो जगतनां अतिसंधानकारक छे–अर्थात् जगतनां विनाश हेतु भूत छे. माटे भगवतीनुं आराधन केवल सामादिकाचार दक्षिणमार्गीज करवुं तेम स्पष्ट लखेलुं छे, तथा तेवां वाम तंत्रोनुं सर्वथा अनादरणीयत्व स्थापित करेलुं छे, जेथी तेवा प्रकारनी पशुहिंसा शास्त्रविहित मानी शकाती नथी.
२ तेवा तंत्र ग्रंथो बहु मान्य पण नथी, तो पछी ते सर्व मान्य गणवानी वात दूरथीज पाछी वळी निकले छे. किंच आचार्य स्वामिए तेनो उपर लख्या प्रमाणे अनादर सूचव्यो छे. तेथी शिष्टाचारपरिपाटीभां ओनी गणना नथी एटले मान्य गणनामां पण आंचको खावा जेवुं छे.
३ तंत्र ग्रंथो करतां प्रामाण्यपात्र श्रुति, स्मृति विगेरेमां पशु हिंसानो निषेध अनेकशः जोवामां आवे छे. जेमांनां थोडां वाक्यो अहीं नीचे टांकी बताववामां आवे छे " माहिसी पुरुषम् जगत् " यजुर्वेद संहिता अध्याय १६ मंत्र ३. आनो अर्थ एवो छे के कोइ पण चेष्टा करता जीवनी हिंसा कर मा. नहिंस्यात्सर्वभूतानि” शतपथ ब्राह्मण. सर्वप्राणि मात्रनी हिंसा करवी नहि. योऽहिंसकानि भूतानि हिनस्त्यात्महितेच्छया || सजीवंश्वमृतश्चैव नकचित् सुखमेधते ।। मनु अ० ५ - ४५ जे
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com