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________________ . २० अर्थः-मारो द्वेष करनारा तथा क्रूर ने अधम पुरुषोने जन्म मरणना मार्गरूप संसारमा अतिकर व्याघ्रादि योनियोमा न हुं नांखु छु. अर्थात् तेवा पापीने एवा फळ आपुं छु ॥ १९ ॥ ए आसुरी योनिने पामेला ते मूढ पुरुषो हे कुंताना पुत्र ? मने पाभ्या विना अर्थात् मारी प्राप्ति तो तेमने होयज क्याथी पण मने पामवाना उपायरूप सन्मार्गने पाम्याविना तेथी पण माठी गतिने पामे छे. अर्थात् क्रमि कीट आदि योनिमां उत्पन्न थाय छे. (इति शिवम् ॐ शांतिः शांतिः शांतिः) संवत १९५० ना भादरवा वदी ३ चंद्रवार. लखनार वैजनाथ मोतीराम भट्ट. लींबडी. ॐ तत्सत् रा. रा. प्राणजीवनदास जगजीवनदास मेहेता. चीफ मेडीकल ऑफिसर, साहेब. मु. धरमपुर. आपने विदित करवानु के आपना सवालना जबाब में मोकलाव्या छे तेमां नीचे लख्या प्रमाणे सुधारशोजी. (१) शब्द पुराणमां ज्यां अढार पुराणो गणाव्यां छे त्यां आ श्लोक दाखल करशो. पद्म पुराणना उत्तरखंडना ९४ मा अध्यायमां शिवजीए पार्वतीने का छे के वैष्णवं नारदीयंच तथा भागवतं शुभम् । गारुडंच तथा पानं वाराहं शुभदर्शनम् । सात्विकानि पुराणानि विज्ञेयानि शुभानि वै ॥ ब्रह्मांडं ब्रह्मवैवर्त मार्कंडेयं तथैवच, भविष्यं वामनं ब्रायं राजसानि निबोधमे।। मात्स्यं कौयं तथा लिंगं शैवं स्कांदं तथैवच, आग्नेयंच षडेतानि तामसानि निबोधमे ॥ अर्थ-विष्णुपुराण, नारदपुराण, भागवतपुराण, गरुडपुराण, पद्मपुराण, अने वराहपुराण ए छ पुराण सात्विक गुणनां जाणवां. तथा ब्रह्मांड, ब्रह्मवैवर्त, मार्कडेय, भविष्य, वामन अने ब्रह्म ए छ पुराण राजस गुणनां छे. मत्स्य, कूर्म, लिंग, शैव, स्कंद तथा आग्नि ए छ पुराण तामस गुणना जाणवां. (२) तमारा छठ्ठा प्रश्नना जवाबमां कालीपुराणनो श्लोक कूष्मांड मिक्षुदंडंच मापं कंसारमेवच, एते बलिसमाः प्रोक्ताः स्तृप्तौ छागसमाः सदा । अर्थ-साकरकोळु, शेरडीनो सांठो, अडद (अडदना लोटनो हरकोइ बनावेल पदार्थ अगर अडदनी पलाळेली दाळनां वडां विगेरे ) तथा कंसार एओ बलि समान कहेल छे अने तेथी सदा बकरा अगर पाडा समान तृप्ति थाय छे... __ (३) सूक्ष्म बुद्धिथी अनुमान प्रमाण आपेल छे. तेमां ए नठारुं परिणाम एम करनार- कोइनु आव्यु छे के नहीं ? एम विचारतां-त्यांथी काशीनो राजा सुदक्षिण तेणे यज्ञमां पशहिंसा करी तेथी सुदर्शन चक्रे काशी बाळीने सुदक्षिण राजाने हण्यो, शकुनिनो पुत्र वृकासुर ते यज्ञमां मांस होमवाथी मरण पाम्यो, जरासंधे भैरव यज्ञ कर्यो ने तेमां पशुवध कर्यो तेथी मृत्यु पाम्यो, कंसे धनुर्योग भैरवयज्ञमां पशुवध कयों तेनुं फळ ए मळ्युं के तेने श्रीकृष्णे भ्राताओ सहित मार्यो, प्राचीन बर्हि राजाए यज्ञो कर्या, ने पशु हिंसा थयेल ते पशुओ ते राजाने मारवा माटे वाट जोइने रह्यां हतां के राजा क्यारे मरे अने अमारु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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