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________________ अविस्मृती ... ............... अहिंसा सत्यमस्तेयं ब्रह्मचर्यपरिग्रहों ॥ भावशुद्धिहरेभक्तिः संतोषः शौचमार्दवामित्यादि। वळी अत्रिऋषिए पोतानी स्मृतिमा योग सिद्ध करनार पुरुषनां लक्षण लख्यां छे तेमां पण प्रथम अहिंसा गणावी छे. माटे योगशास्त्रनो मत पण एवोज सिद्ध थयो छै के प्रथम 'अहिंसा धर्म पालवो. याज्ञवल्क्यमृतौ अ. १ श्लो. ८ इज्याचारदमोऽहिंसा दानस्वाध्यायकमणाम् अयं तु परमो धर्मों यद्योगेनात्मदर्शनम् ॥ ___ आ लोक परलोकसंबंधी सुख लेवामां चमत्कारी योगसाधन बतावनार योगशास्त्रनुं सर्वोपरि मुख्यपणुं छे एम याज्ञवल्क्य ऋषिनो सिद्धांत छे तेमां पण अहिंसा कही छे. इज्या केतां यज्ञ करवो एटले देवतार्नु पूजन करQ तथा सदाचार पाळवो तथा अहिंसा व्रत पाळq तथा सत्पात्रमा दान आपq तथा भणq ने भणावQ ए सर्व सत्कर्म छे. तेनीमध्ये आ उत्कृष्ट धर्म छ के जे योगशास्त्रमा कहेला योगे करीने एटले पूर्वोक्त अहिंसादिक साधने करी चित्तशुद्धि करीने योगनुं साधन करवाथी अनेक ऋद्धिसिद्धि प्रगट थया पछी शेवट आत्मदर्शन पण योगीज थाय छे. माटे योगारूढ थयो होय तो पण कामचार एटले मनमां आवे तेम हिंसादिकनु आचरण करे तो (योगारूढोपतत्यधः) ते पण योगभ्रष्ट थई अधोगतिने पामे छे. आ प्रकारे छ शास्त्रने मते हिंसानो निषेध कर्यो. ५ प्रश्ननो उत्तर–हिंसानी प्रवृत्ति जो न करवामां आवे तो कोई प्रकारनो आपत्ति काळ आववानो होय तो पण ते नाश पामे अने पुण्यकर्म कर्यु कहेवाय एम बळवान् शास्त्रनां प्रमाण छे. . श्रीमद्भागवते ॥ तस्मान्न कस्यचिद्रोहमाचरेत्स तथाविधः ॥ आत्मनः क्षेममन्विच्छन् द्रोग्धुर्वं परतो भयम् ॥ जे पुरुष पोतानुं सारं इच्छे छे तेणे कोई काळे पण पारको एटले अन्य प्राणिनो द्रोह न करवो. जे अन्य प्राणिद्रोह करे छे तेने परथकी भय प्राप्त थाय छे, एटले ते प्राणि आ लो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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