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________________ २११८ आहर्ता चानुमंता च विशस्ता क्रयविक्रवीं॥ संस्कर्ता चोपभोक्ता च खादकाः सर्व एव हि ॥ मारवाने अर्थ पशुने प्राणी आपनार तथा मांसने आणी आपनार तथा तेनी अनुमोदना करनार तथा तेने हणनार तथा वेचनार तथा वेचातुं लेनार तथा तेनो उपभोग करनार ए सर्व पुरुषो निश्चे मांसभक्षकज छै. अनुमंत शब्दमां आटलो विशेषार्थ जाणवो के अनुमोदना करनार एटले कोई राजा प्रमुख मोटां माणस कोई विद्वान् पुरुषने पूछे के अमुक पर्वने विषे हुँ पशुहिंसा करुंछु ते ठीक छ ? पछी ते विद्वान् कोईनुं मुख्य दाक्षिण्य राखीने अथवा माध्य राखीने अथवा अंधपरंपरा देखीने अथवा पोतानी आजीविका प्रतिष्ठामा थशे एवं कांइक नुकसान धारीने अथवा अन्य कोई कारणथी अनुमोदना करे. अर्थात् हाजी हा साहेब आपवामां बापदादाथी चाली आवती पशुहिंसा योग्य छे एम प्रकारनी अनुमोदना करे तेने पशुधातक जाणवो. केतां खाटकी जाणवो पण विद्वान् न जाणवो तथा ब्राह्मण न जाणवो. वळी ते विद्वानमा पण जे विद्वान् पशुनां नाक कान कापवानुं कहता होय तो समर्थ राजाओए तेज विद्वाननां नाक कान कापवां जोईए. केम के एवी गप्पो छे ते केवळ शास्त्री विरुद्ध निर्मूळ छे. वली पांचमुं सांख्यशास्त्र कपिलदेवप्रणीत छे तेमां पण हिंसा करवानू का नथी. केमके सांख्यशास्त्रमा चोवीस तत्व- पृथक् करण कयुं छे अने देहना भावने देहने. विषे समजवा अने आत्माना भाव आत्माने विषे समजवा एटलेज दुःख ने मिथ्या इत्यादि देहना भाव ते कदापि काले आत्माने विषे न समजवा. अने सत् चैतन्य अने सुखरूप आत्माना भाव छे ते कदापि काळे देहने विषे समजवा नहि. इत्यादि विचारने जणावनार सांख्य शास्त्रने मते पण शरीर पुष्टिकारक मांसनो निषेध छ तो तेमां पशु हिंसानो लेश पण आवज क्यांथी उलटुं इंद्रियोनो निग्रह करी शरीर शोषण करवान ए मतमां छे. वळी छळु जे योगशास्त्र तेमां पण हिंसा करवानुं कर्तुं नथी तेमां तो यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा अने समाधि, ए अष्टांग योगनी वार्ता के तेमा प्रथम यम कह्यो छे. अहिंसासत्यास्तेयापरिग्रहब्रह्मचर्या यमाः ॥ ए पातंजल योगशास्त्रना सूत्रमा पण प्रथम आहेसानुं ग्रहण कर्यु छ माटे जे अहिंसक पुरुषो छ तेनेज योग सिद्ध थाय छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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