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निं वा शूकरयोनि वा चांडालयोनि वा इति. अर्थ-शास्त्र निषिद्ध जे यज्ञमां पशुवध इत्यादि पापकोने करनार पुरुष जलदीन नीच योनिने प्राप्त थाय छे. कदि श्वान योनिने पामे छे, कदि शूकर योनिने पामे छे, ए आदि लईने बीजी पण अनेक अनेक नीच योनियोने पामे छे यजुर्वेद ईशोपनिषद् अथवा वाजसनेय संहितोपनिषद्मां कहेल छे के श्रुतिः-अन्धन्तमः प्रविशन्ति येऽविद्या मुपासते ततो भूय इवते तमोय उ विद्यायाऽरताः ॥१२ ॥ अर्थ-जे पुरुष केवळः कर्मने करे छे ते पुरुष अदर्शनरूप तमने पामे छे. अने जे पुरुष केवळ उपासनामां प्रीतिवाळो छे ते पुरुष दारुण तमने पामे छे ॥९॥ श्रुतिः-अन्धन्तमः प्रविशन्ति ये संभूति मुपासते ततो भूय इवते तमोय उ संम्भूत्यारताः१२ अर्थः-जे पुरुष कारण अव्याकृत नाम मायानी उपासना करे छे, ते पुरुष अदर्शनरूप तमने प्राप्त थाय छे. तथा जे पुरुष हिरण्यगर्भरूप नाम कार्यनी उपासना करे छे ते पुरुष अधिक घोर तमने पामे छे. तथा शिरउपनिषद् , गर्भोपनिषद् , नादबिंदु उपनिषत् , ब्रह्मबिंदु उपनिषत् , अमृतबिंदूपनिषत् , ध्यानबिंदूपनिषत् , तेजोबिन्दूपनिषत् , योगतत्वोपनिषत , संन्यासोपनिषत् , आरुणेयोपनिषत् , ब्रह्मविद्योपनिषत् , क्षुरिकोपनिषत् , चूलिकोपनिषत् , अथर्वशिखोपनिषत्, ब्रह्मोपनिषत् , प्राणाग्निहोत्रोपनिषत् , नीलरुद्रोपनिषद् , कंठश्रुत्युपनिषत्, पिंडोपनिषत् , आत्मोपनिषत्, शमपूर्वतापन्युपनिषत् , रामोत्तरतापन्युपनिपत् , हनुमदुक्तरामोपनिषत् , सवोपनिपत् , हंसोपनिषत् , जाबालोपनिषत् अने कैवल्योपनिषत् एओमां क्यांइए पण दसेरा तथा बळेव पर के बीजे पर्वे पशुवध करवो एम छे ज नहीं. वळी-ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुंडक, मांडूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छांदोग्य ए उपनिषदो जे चारे वेदनां छे तेमां कयांइ पण पशुवध छेज नहीं. तथा वृहदारण्यमां पण दसेरा बळेवे पशुवध करवो एवं क्यांइ पण छेज नहीं.
प्र. ४. राजाओने ते अवश्य कर्तव्यज छे, अने ते न करवामां आवे तो बळवान् शास्त्रनी आज्ञा तोडी गणाय एवं काइ स्पष्ट प्रमाण छे के केम ?
उत्तर-राजाओने ते अवश्य कर्तव्य छे एम कोइ कोइ कहे छे. अने मार्कडेय ऋषिए सुरथ राजाने चंडीपाठमां कहेल छे ते आगळ बतावेल छे, पण ते नहीं सरखं छे. एटले खास एवी कांई फरज विशेष होय एम जणातुं नथी. अने ते न करवामां आवे तो कोई बळवान् शास्त्रनी आज्ञा तोडी गणाय एवं कांई स्पष्ट कारण छेज नहीं. पण न करवू ए उत्तम छे. अने ते आगळना प्रमाणोथी जाणी लेशो.
प्रश्न-५ ए हिंसानी प्रवृत्ति जो न करवामां आवे तो तेथी राज्यने, प्रजाने के राजाना अंगे कोइपण प्रकारनो आपत्तियोग आवे अथवा अकार्य कर्यु गणाय एवं कोइ बळवान् शास्त्रमा कयुं छे के केम?
उत्तर-ए प्रमाणे कोइ पण बळवान् शास्त्रमा कां नथी. पण न करवाथी फायदा बतान्या छे. अने ते प्रश्न त्रीजाना खुलासामां ने प्रमाणो आप्यां छे तेथी वाकेफ थशो. करवाथी नुकशान छे.
प्र. ६. ते पशुवधने बदले बीजी कोइ हिंसारहित क्रिया करी ते पर्व आराधवामां आवे तो तेथी कंड बळवान् शास्त्रनी आज्ञानो भंग कयों गणाय के केम? तेवी हिंसा रहित शुं शुक्रिया बराबर गणाय?
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