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________________ १०१ मूळ प्रमाणिक शास्त्र जोवाथी प्रणातिपात एटले प्राणिनो वध करवो एरूपी हिंसानो सर्व कार्यो मां निषेध करेलछे. सूत्र ८ याज्ञवल्क्य स्मृतिना आचाराध्यायमां कह्युं छे के. अहिंसा सत्यमस्तेयं शौचमिद्रियनिग्रहः ॥ दानं दया दमः क्षान्तिः सर्वेषां धर्मसाधनम् ॥ १२८ ॥ अर्थः — अहिंसा, सत्य, चोरी न करवी, पवित्रता, इंद्रियनिग्रह, परोपकार, दया, मननुं दमन तथा क्षमा ए नव सर्वे धर्मनां साधन छे: - १२८ वळी श्री महाभारतांतर्गत शांतिपर्वना १६२ मा अध्यायमां कहयुं छे के : - सूत्र ९ अद्रोहः सर्वभूतेषु कर्मणा मनसा गिरा अनुग्रहश्च दानंच सतां धर्मः सनातनः १२९ अर्थ:- मन, वाणि तथा कर्मे करी प्राणिमात्रनो द्रोह न करवो दया राखवी तथा उपकार करवो ए सत्पुरुषोनो सनातन धर्म छे. ॥ १२९ ॥ तेमज वळी पण श्रीमदभागवतना प्रथम स्कंधमां कहयुं छे के जीवो जीवस्य जीवनम् ॥ १३० ॥ अर्थ:- जीव जीवनुं जीवन छे. ॥ १३० ॥ चाणाक्य नीतिमां कहयुं छे केः सूत्र १० आहारनिद्राभयमैथुनं च सामान्यमेतत्पशुभिर्नराणाम् ॥ एको विवेको ह्यधिको मनुष्ये विवेकहीनाः पशुभिः समानाः ॥ १३१ ॥ अर्थ – आहार, निद्रा, भय तथा मैथुन ए चारे पशु तथा मनुष्योमां सामान्य छे.. पण एक विवेकज मनुष्यमां अधिक छे माटे कृत्य अकृत्य न जाणे ते अविवेक तेवा अविवेकी मनुष्यो होय ते पशुसमान जाणवां. १३१ तो तेथी विवेक विचारी प्राणियोना शरीरनो घात कर्या वगर अन्नादि वनस्पतिथी मनुष्ये पोताना जीवनो निर्वाह करवो योग्य छे विषे विष्णुशर्मा क छे के— ए सूत्र ११ योति यस्य यदा मांसमुभयो ः पश्यतान्तरम् ॥ एकस्य क्षणिका प्रीतिरन्यः प्राणैर्विमुच्यते ॥ १३२ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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