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________________ . नं. १५. धोराजीवाला पारेख वनेचंद पोपटनो अभिप्राय. रा. रा. प्राणजीवन जगजीवन, चीफ मेडीकल ऑफिसर. मु. धर्मपुर. धोराजीथी लि. पारेख, वनेचंद पोपटना जुहार वांचशो. बाद आज रोज आपना महाराणा तरफथी सात प्रश्न पूछवामां आव्या छे. तो तेनो जवाब हुं यथामति आपुं छु ते स्वीकारशो. अहिंसानिषेधप्रकरणम् प्राणिमात्रहिंसानिषेधनामिषाशननिषेधः ॥ तत्र महाभारते देवान् प्रति महर्षिवचनम् ॥ बीजैर्यज्ञेषु यष्टव्यमिति वै वैदिकी श्रुतिः॥ अजसंज्ञानि बीजानि छागं नो हन्तुमर्हथ ॥ अर्थः-कोई जीव प्राणीमात्रनी हिंसा न करवी तथा मांस भक्षण न करवू. तेना प्रतिपादन करनारा श्लोकनो अर्थ-महाभारतने विशे देवताओप्रत्ये महर्षितुं वचन क, हे देवो! यज्ञमां धान्यना बीजे करीने होम करवो ए वेदनी श्रुति कहे छे. ने अजे करीने होम करवो एम पण वेदनी श्रुति छे. तो अज एटले न उगे एवां धान्यनां बीज समजवां पण अज एटले बकरो न समजवो. माटे बकरांने मारवा तमो योग्य नथी. श्रीमद्भागवते चतुर्थस्कंधे, प्राचीनमर्हिषिप्रति नारदवाक्यं. वायुमत्स्यपुराणयोर्देवेंद्रं प्रति महर्षिवाक्यम् तथा च । यज्ञो बीजैः सुरश्रेष्ठ येषु हिंसा न विद्यते ॥ त्रिवर्षपरमं काल मुपैतै रप्ररोहिभिः॥ अर्थ:-वायुपुराण तथा मत्स्यपुराणमां देवेंद्रप्रत्ये मुनिये कयुं छे. हे देवेंद्र ! त्रण वर्ष सुधी पडतर रहेल ने वावत उगे एवां धान्यनां बीजथी यज्ञ करवो [ कारण के आवां धान्यने विशे हिंसा नथी भने उगे एमा धान्यथी यज्ञ करवानी शास्त्रमा मनाई छे. तो देवने केम राजी कराय ! नज कराय. ] माटे हिंसारहित काम करवां एज वेदनुं मत छे. . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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