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________________ केवलं काम्य एव न नित्यः ॥ निष्कामक्षत्रियादेः सात्विकपूजाकरणे मोक्षादिफलातिशयः॥ (ध० सिं० द्वि०प० पत्र ६६). अर्थः-जव होम, अन्न बलि तथा नैवेद्य वडे सात्विक पूजा करवी, मांसरहित नैवेद्य समर्पवं. मद्य अर्पण करवाथी ब्राह्मण ब्राह्मत्वथी भ्रष्ट थायछे, मद्य पीवू नहीं तेम आपg पण नहीं इत्यादि निषेध वाक्यो छे. माटे मांस, मद्य सहित पूजानो ब्राह्मणने अधिकार नथी. क्षत्रियने मांस मद्ययुक्त जप होमादि सहित राजसपूजामां पण अधिकार छे. आ स्थले अपि शब्दनुं ग्रहण करेलुं छे. ते उपरथी तेनो सात्विकपूजामां पण अधिकार छै. आ काम्यकर्म छे. नित्यकर्म नथी माटे काम्यकर्म न आचरवाथी कोई प्रकारनी हानिनो संभव नथी. मुमुक्षु पुरुषने तो काम्य निषेधनुं वर्णन योग्य छे. निष्काम क्षत्रिय आदिने सर्वोत्तम फळनी • प्राप्त थाय छे. निर्णयसिन्धुना द्वितीय परिच्छेदमा लस्युं छे के,अशक्तौ ब्राह्मणेन च कूष्मांडादिभिर्बलिदानं कार्य । उक्तं च कालिकापुराणे कूष्मांडमिक्षुदंडं च मांसं सारसमेव च एते बलिसमाः प्रोक्ता स्तृप्तो छागसमास्तथा छागाभावे तु कूष्मांडं श्रीफलं वा मनोहरं , वस्त्रसंवेष्टितं कृत्वा छेदयेच्छुरिकादिना अर्थ:-क्षत्रिय तथा वैश्ये तथा ब्राह्मणे कूष्मांड विगैरेथी बलिदान आपवं. कालिकापुराणमां कह्यु छ के-कूष्मांड, शेरडी सांठो, सारसनुं मांस ए बलितुल्य समजवां, तेथी देवीने बकरा बरोबर तप्ति थाय छे. रुद्रयामलमां पण कडं छे के, ___ छागने अभावे कोलुं अथवा संदर श्रीफलने वस्त्र बरे वाटीने छरी गिरेपी तेने कापवां उपरना वाक्यमा एम लक्ष्यं के के मशक्त क्षत्रियादिये कूष्मांडादिनो बाकि भापवो तो दयावान् राजर्षिनी आवा करकर्ममा भप्रवृत्तिने मशक्तिरूपे गणवामां को बाध क्या, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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